Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 7
________________ १० मकामा जंक्शन टेसन उतरना सहरहै यहांमे गङ्गापर टीमग्में जाना रेल दरभङ्गे होकर सौतामडी गई है उसमें जाना १०२ । १०) ११ मौतामडी टेसन उतरना सहर में ध० है। १३० मा० १) १-११ मिथिलानगरी तीर्थ इसको शास्त्र में कहा है यहां कल्या० ८ भए हैं १८ में भ० के ४ च० ज० दि. ज्ञा० और २१ में भ० के ४ च. ज. दि. ज्ञा० भएहैं अव खेत्र फरसना होती है स्थानादिक कुछ वहां नहीं है आगे थे मंदरजी में चरण अव खास चरण यहांके कारण वस भागलपुरके मंदरजौके कोने में विराजमान है तीर्थ वौ छेद है इसका खुलासे हाल पुस्तकके अन्तमें लिखा है। यहांसे उसो रस्त से पोछे रेलपर मुकामे होकर बखतौयारपुर जाना। १२ बखतौयारपुरष्टेसन उतरना सहरमें ध० है यहांसे खुसको सड़क का रस्ता है सवारी बैलगाडी वगैरा मिलती है यहांस विहार जाना १-१२ सुवे विहार को० १० सहरहै इसको शास्त्र में विधालानगरौ कहते हैं ध० लालवागमें मं० । भ. काहै और मं०। भ० के पाड़बजार मैथौयान महले हैं यहांसे खसको रस्त पावापुरी ग्राम जाना सवारी सब जाती है मिलती है। २-१२ पावापुरजी तौर्थको० ३ है ध० । मं० । भ. काहै जीनस मिलती है गांवसे पूर्व को पाव प्राचीन समवसरन जिसको हस्तपाल राजाको मुक्तशाला शास्त्रमें कहते है यहां अन्त वख्तके समवसरनको रचना देवतीने करोथौ १६ पहरतक भ० ने देसना देकर मुक्तौ पधारे थे और तलावमें १ मं० २४ में भ. काहै गांवके पास जिसको जलमंदीरजी कहते हैं वह जगे भ० को अग्निसंस्कार इन्द्रोंने कराया था यहां २४ में भ•का कल्पा. १ मो. भया है तलावके कौनारे १ मं० भ० का और है उसके पास में समवसरन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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