Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ १ ऊपर जाके को० १ पै सौतानाला जल हमेसा वहताहै वहां अधिष्टाताका स्थान बनाहै उनकी पूजा करके उपर जाना। १ इस पहाड़पै २० टुंक जुदे जुदे हैं कल्या० २० मो• भएहैं टुंको पर गुमटियों में चरनों की स्थापना प्राचीन हैं वोसों भ० के कल्या. इस मुजव भ.नोके हुवे है २।३।४।५।६।७।८।८।१०।११।१३।१४।१५॥ १६।१७।१८।१८।२०।२१।२३ । वें भ० न वगैरों के भये हैं यहां। १ इस पहाड़पै ४ गुमटियों में ४ भ० के चरणों की स्थापना है ॥१२ ।२२।२४। वें भ० को सो नई स्थापना करौ है इन भ० नोंके कल्या. यहां नहीं भये हैं और तीर्थस्थानों में कल्पा० भये हैं मो० यहां नहीं। १ वीस वें टुकपै २३ वें भ० का मं० नया वनताहै इसको मेघाडंवरका टुंक कहते हैं टुंकसे थोड़ी दूरपै सड़क बनौहे नौचे पानेको वा टुंकसे को• पाव पर सौतानालेका सोता जागैहै पानी रहता है १ सव टुंकोके वीचमें १ मं० है वहोत विशाल उसको झुरमठका मं० कहते हैं उसमें २३ वें भ० को मूर्तीयें प्राचीन बहोत मनोहर विराजमान है पानीका झरना वा कुण्ड वा ध० वा वगीचा हैं। १ इस तीर्थ के पहाड़को प्रदक्षिणा को १२ को दोजायहै वा यात्री लोग पहाड़पर जूता वगैरा पहर कर नहीं जाते हैं कारण समस्त पहाड़ कंकर २ पूजनीक है सव तरीको विनै रखने को रितीहैं। १ पहाड़ पर रातको रहने का अवहार नहीं है पागेसे वा पहाड़में पहले बहोत भय था सिंहादिक जानवरोंका अव नहीं है तीर्थको ऐसौ महिमाहै पाजतक कोई यात्री लोगों को जानवरसे खतरा नहीं भयाहै वा संघके समुदायके साथ में १।२ ढोलवाले बजाते भये लेजाते हैं वा ध० के बाहर जंगल में रातको जाना मनाह भयसे का 'यात्रा वगैरा करके पौछा सौ रस्तेसे ग्रेटौ पायके रेलमें मधुपुर टेशन पान वहांसे रेलपर मुकामा जाना। मी. १२२ मा• 0 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42