Book Title: Saptabhangivinshika
Author(s): Abhayshekharsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 5
________________ वि. सं. २०५९ पो. व. ४ बुधवार ता. २२-१-२००३ के शुभदिन प. पू. आ. श्री विजय अभयशेखर सू. म. सा. की पावन निश्रा में श्री गुरुगौतम स्वामी की अंजनशलाका व प्रतिष्ठा की गई । इनके प्रेरणादाता स्व. पू. आ. श्री जयशेखर सू. म. सा. के चरणपादुका की भी प्रतिष्ठा की गई । ४ चतुर्विध संघ की आराधना के लिए उपाश्रय है, जहाँ दो बार चातुर्मास हुए हैं । प्रतिवर्ष पर्युषण एवं दो ओली की आराधना होती हैं । बाजु में ही अतिथिगृह हैं जहाँ दूरदूर से लोग आते हैं, और संतुष्ट होते हैं । मंदिर बस स्टेन्ड के सामने ही होने से अजैन भी बहोत लोग आह्लादक संतापशमन एैसे श्री सुमतिनाथप्रभु के दर्शन को आते है । मंदिर के आगे श्रीसुमतिनाथ मार्ग है और पीछे श्री सुमतिनाथ नगर है । जहाँ अनेक श्रावक परिवारों का निवास है । मिरज शहरमें एक अन्य भी श्रीवासुपूज्यस्वामी का जिन मंदिर है । हमारी विनंती का स्वीकार करके पू. आ. श्री अभयशेखर सू. म. सा. ने हमारे ज्ञाननिधि से इस ग्रन्थ का प्रकाशन करने का हमें लाभ दिया है, अतः उनके अत्यंत आभारी है । देव - गुरु के चरणों में कोटि कोटि वंदना | Jain Education International - श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ- मिरज For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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