Book Title: Rushabh aur Mahavira
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 11
________________ ऋषभ और महावीर मूल द्रव्य दो हैं • चौथा प्रश्न है—विश्व कैसे बना? जीव और अजीव का संयोग होता रहता है और उस संयोग ने इस सृष्टि का निर्माण किया है। प्रश्न होता है-दूध कैसे बना? गाय ने घास खाई और दूध बन गया। जितना विकास है, वह सारा यौगिक है। उसमें जीव और अजीव-इन दो तत्त्वों का योग है। इन दो का योग मिलता रहता है और वह गुणित होता चला जाता है। दो से चार, चार से आठ और आढ़ से सोलह-इस प्रकार वह गुणित होता चला गया। • पांचवां प्रश्न है—मूल तत्त्व क्या है ? जीव और अजीव—ये दो मूल तत्त्व है। जगत् का जितना विस्तार है, वह जीव और अजीव के संयोग से हुआ है। उस विस्तार की शक्ति का नाम है व्यंजन पर्याय । पर्याय दो प्रकार का होता है—स्वभाव पर्याय और व्यंजन पर्याय । प्रत्येक पदार्थ में जो अपना-अपना परिणमन होता रहता है, वह है स्वभाव पर्याय और जो दो के योग से बनता है और प्रगट होता है, वह है व्यंजन पर्याय । दो का योग मिला, हाईड्रोजन-आक्सीजन मिला, पानी बन गया। पानी कोई मूल तत्त्व नहीं है। पानी यौगिक है। जितने द्रव्य यौगिक हैं, वे संयोग से मिलते हैं और बनते चले जाते हैं । विस्तार यौगिक है हमारे जगत् का जो विस्तार है, वह यौगिक विस्तार है । मूल तत्त्व बहुत सिमटे हुए हैं। किन्तु इनका विस्तार इतना हो गया कि हमें नाना द्रव्य दिखाई दे रहे हैं। प्रश्न होता है-मकान क्या है ? वह कोई मूल द्रव्य नहीं है। ईंट, पत्थर, सीमेन्ट, लोहा—इनका योग मिला और मकान खड़ा हो गया। यह मिट्टी क्या है ? यह पृथ्वी क्या है? कुछ प्राणी और कुछ पुद्गल मिले, मिट्टी का निर्माण हो गया। यह जल क्या है? कुछ प्राणी और कुछ पुद्गल के स्कन्ध मिले, जल का निर्माण हो गया। यह अग्नि क्या है? कुछ प्राणी और कुछ परमाणु स्कन्ध मिले, अग्नि का निर्माण हो गया। हवा क्या है ? कुछ प्राणी और कुछ पुद्गलों का योग है। यह वनस्पति-जगत् क्या है ? इसका उत्तर भी यही है। कुछ जीव और कुछ पुद्गल मिले, इतना बड़ा वनस्पति जगत् बन गया। यह त्रस जगत्-कीड़े-मकोड़ों से लेकर मनुष्य तक क्या है? यह भी यौगिक ही है ? जीव मिला और पुद्गल मिला, एक कीड़ा बन गया, एक पक्षी बन गया, एक पशु बन गया और एक आदमी बन गया। मूल द्रव्य कोई नहीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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