Book Title: Rushabh aur Mahavira
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 50
________________ धर्म तीर्थ का प्रवर्तन वह केश राशि बढ़ती चली गई और बढ़ते-बढ़ते नीचे तक पहुंच गई। ऋषभ और शिव ऋषभ की प्रतिमा देखें या शिव की प्रतिमा। दोनों एक समान लगती हैं। इन दोनों में कोई अन्तर दिखाई नहीं देता। और भी ऐसे अनेक तथ्य हैं जिनके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है—ऋषभ और शिव—ये एक ही व्यक्ति के दो रूप हैं। शिव भी अवैदिक हैं और ऋषभ भी अवैदिक । ऋषभ द्वारा प्रवर्तित समता धर्म जनता के लिए कल्याणकारी हुआ। भगवान् महावीर ने भी उसी धर्म का प्रवर्तन किया। पता नहीं क्या बात है—इतिहास के बाईस तीर्थंकर एक ओर दिखाई देते हैं तथा ऋषभ और महावीर-दूसरी ओर दिखाई देते हैं। कहां पहला बिन्दु और कहां अन्तिम बिन्दु ! किन्तु दोनों समान रेखा पर अवस्थित नजर आते हैं। उन्होंने जिस तीर्थ का प्रवर्तन किया, समता धर्म का प्रवर्तन किया, वह आज भी हमारे सामने प्रस्तुत है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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