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वर्धमान : निद्रा संयम
नींद के तीन प्रकार
भगवान् महावीर बहुत कम सोए। कहा जाता है-वे बारह वर्षों में केवल अड़चांस मिनट सोए। अगर कोई अपरिचित हो तो टिप्पणी कर सकता है— भगवान् को अनिद्रा की बीमारी रही होगी और क्या कारण हो सकता है ! उस समय बड़ी-बड़ी कंपनियां नहीं थीं, जो नींद की गोलियां बनाती हों, बेचती हों। आज अरबों-खरबों रुपये की नींद की गोलियां बिकती हैं। नींद की गोलियां बेचकर बड़ी-बड़ी कंपनियां अरबों रुपये कमा रही हैं। महावीर को नींद नहीं आई होगी इसलिए वे बहुत कम सोए होंगे, यह कल्पना कोई भी कर सकता है। ___ नींद के स्वरूप पर विचार करें तो नीद तीन भागों में बंट जाती है—निद्रा, अतिनिद्रा और अनिद्रा। नींद लेना स्वाभाविक बात है। अतिनिद्रा एक बीमारी है और अनिद्रा भी एक बीमारी है। महावीर में ये तीनों प्रकार की स्थितियां नहीं थीं। आयुर्वेद के आचार्यों ने नींद के ये तीन विभाग किए हैं। अनिद्रा का एक विभाग और कर लेना चाहिए । अनिद्रा के दो प्रकार हो जाते हैं—नींद न आए, वह अनिद्रा है और नींद को न आने दें, वह भी अनिद्रा है। नींद : कारण
महावीर को नींद की बीमारी नहीं थी। उन्हें आती थी, वे उसे उड़ाते थे, जागृत हो जाते थे। जब-जब नींद सताती, वे उसे दूर करने का प्रयल करते। अगर नींद नहीं आती तो जागने का प्रयत्न क्यों करते? नींद आने की स्थिति में वे बाहर चले जाते, टहलते, उसे बार-बार उड़ाने को कटिबद्ध रहते। हमारे सामने प्रश्न हैं-वे अनिद्रा रोग से ग्रस्त नहीं थे तो फिर क्यों जागते रहे? उन्होंने इतना जागरण कैसे किया? इसका रहस्य क्या है? यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से व्यक्ति के मन को आन्दोलित कर देता है। आयुर्वेद में नींद आने के कई विकल्प उपलब्ध होते हैं
श्लेष्मसमुद्भवा मनःशरीरश्रमसंभवा आगंतुकी। रोगानुवर्तिनी रात्रौ स्वभावप्रभवा ।।
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