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ऋषभ और महावीर
आदिम युग का पहला युद्ध प्रारम्भ हो गया और वह दो भाइयों के बीच लड़ा गया। यह सच्चाई पुष्ट हो गई-भाई भाई का संबंध नम्बर दो की सच्चाई है। व्यक्ति का पहला संबंध अपने भावों से है, एक ओर अधिकार के भाव ने भाई के संबंध को गौण बना दिया तो दूसरी ओर अधिकार का भाव भाई-भाई के संबंध पर हावी हो गया। देववाणी : नया प्रस्ताव - कहा जाता है-बहुत भयंकर युद्ध चला। युद्ध करते-करते बारह वर्ष बीत गये। कोई नतीजा नहीं निकला। सारा विश्व इस समस्या से आक्रांत हो गया। अनुश्रुति है-उस समय देववाणी हुई। संभव है--उस समय देववाणी आत्मा की वाणी होती होगी। उस समय देववाणियां बहुत बचा देती थीं। देववाणी में कहा गया-आप क्यों लड़ रहे हैं? आप दोनों भाई हैं। ऋषभ के पुत्र हैं । परस्पर युद्ध करना अच्छा नहीं है । युद्ध बन्द होना चाहिए।
भरत और बाहुबली दोनों ने कहा-युद्ध बंद नहीं होगा। पुन: देववाणी हुई—हमारी पहली शर्त है-युद्ध बंद हो । यदि यह प्रस्ताव मान्य नहीं है तो हमारी शर्त है-दोनों सेनाओं में परस्पर युद्ध बन्द हो। आप दोनों भाइयों के बीच लड़ाई है, दूसरों को बीच में क्यों मारा जाए? भरत बाहुबली को झुकाना चाहता है और बाहुबली झुकना नहीं चाहता। यह संघर्ष का मूल बिन्दु है और यह आप दोनों भाइयों से जुड़ा हुआ मुद्दा है। इसलिए आप सेना को युद्धभूमि से हटा दें और दोनों भाई 'आपस में लड़ें। जो जीतेगा वही शासक बन जाएगा। . .
इस तर्क को दोनों भाइयों ने स्वीकार कर लिया। सारी सेना एक ओर हट गई। युद्ध भूमि में केवल दोनों भाई आमने-सामने खड़े थे। युद्धमंच : रंगमंच
आज का युद्ध कुछ दूसरे प्रकार का होता है। पहले युद्ध सैनिकों के बीच होता था और उसमें सैनिक मरते थे किन्तु आज युद्ध केवल सैनिकों के बीच ही नहीं लड़ा जाता । आज के युद्ध में हजारों-लाखों निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं। आज युद्ध का कोई निश्चित स्थल नहीं है। पूरा देश.युद्ध-स्थली बन जाता है। इससे केवल एक देश नहीं, सम्पूर्ण विश्व प्रभावित होता है। एक अणुबम कहीं छोड़ा जाता है किन्तु उसके विकिरण, अणुधूलि पूरे देश में छा जाती है। आज युद्ध की मर्यादाएं समाप्त हो गईं, सीमाएं टूट गईं। युद्ध का कोई धर्म नहीं रहा, आचार संहिता नहीं रही। यह
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