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पत्नी ने चेन खींची तो ट्रेन रुक गई। अधिकारी आ गया। उसने पूछा चैन किसने खींची? अब तो पति-पत्नी दोनों घबरा गये | ऊपर की बर्थ पर एक व्यक्ति सो रहा था। दोनों ने इशारा किया-इसने खींची। बेचारे उसने ता नहीं खींची थी। अधिकारी ने उसे उठाया और पूछा-क्या तुमने चैन खींची है? उसने कहा जी हाँ । उसका जवाब सुनकर पति-पत्नी बड़ खुश हुये, सोचा कि बच गये । अधिकारी ने उसे डाँटते हुये कहा-क्या तुम्हें पता नहीं है कि अकारण चैन खींचने पर 500 रु. का जुर्माना है? उस व्यक्ति ने कहा, साहब! मैंने अकारण नहीं, किसी कारण स चैन खींची है। अधिकारी ने पूछा-क्या कारण है? वह व्यक्ति बोला-साहब! मैं यहाँ सोया था, तकिये के नीचे मेरे 500 रु. रखे थे, मुझे नींद आ गई और इन दोनों पति-पत्नी ने चुपके से मेर रुपये चुरा लिये। कृपया मेरे रुपये वापिस दिला दीजिये, इसलिये मैंने चैन खींची है | अधिकारी ने पूछा-तुम्हारे रुपये इन दोनों ने चुराये हैं, इसका तुम्हारे पास क्या प्रमाण है? व्यक्ति बाला-साहब! प्रमाण? प्रमाण यही है कि 250 रु. तो इनके पास हैं
और 250 रु. इनकी पत्नी के पास हैं। दोना की तलाशी ली गई तो दोनों के पास 250-250 रु. निकले।
अधिकारी ने उन दोनों को खूब डाँटा और पाँच सौ रुपये लेकर ऊपरवाल को द दिये | ऊपरवाले ने फिर अपनी बर्थ पर लेटते हुये कहा-कि, 'भाई साहब! नमस्कार | जरूरत पड़ तो फिर याद करना।' तो यह है जिद का फल | बच्चे जिद करं तो बात समझ में आती है, पर बड़ जिद करें ता बात समझ से परे है। इसलिय कहा है-महिलायं जिद करना छोड़ दें और पुरुष गुस्सा करना छोड़ दें तो जीवन में खुशियाँ बढ़ जायें। घर-परिवार में सुख-शान्ति हा जाये | क्रोध कषाय एक ऐसी अग्नि है जो अपने को तथा दूसरों को भस्म
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