Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org अंगाळी अंजागा अंगोळी-स्त्री० १ स्नान, मज्जन । २ स्नानागार । प्रकार काजल (अंजन) विशेष जिसको प्रांखों में लगाने ३ पेशाबघर । वाला अदृश्य हो जाता है । अंग्रेज-देखो 'अंगरेज'। -अरिस्ट-पु० रत्न। अंग्रेजी-देखो 'अंगरेजी'। ----केस-पु० दीपक, दीया । -केसी-वि० काजल के अंधड़-पु० [सं० अंघ्रि निम्नवर्गीय स्त्रियों के पैर के अंगूठे का समान काले केशों वाला (वाली) । -योग-पु० जेवर। ६४ कलाओं में से एक । —सळाक, सळाका-स्त्री० अंघियो-पु० जांघिया नामक अधोवस्त्र । सुरमा सारने की सलाका, सलाई । अंघ्रप-पु० [सं० अंघ्रिप] वृक्ष, पेड़ । अंजनवादी-वि० जिसकी अांखों में अदृश्य कर देने वाला अंजन अंघ्रि, अंघ्रिप, अंघ्रियस, ग्रंध्री, अंघ्रीयस-पु० [म अंघ्रि] १पैर । लगा हो। २ जिसने अदृश्य कर देने वाला अंजन बनाया हो। चरण । २ चतुर्थाश। ३ वृक्ष। ४ वृक्ष की जड़। अंजनांमिका-स्त्री० नेत्रों का एक रोग । अंच-देखो 'पांच'। अंजना-स्त्री० [सं०] हनुमान की माता । ग्रंचणी (बौ)-कि० म० अच्] १ बांधना, लटकाना । -नंद, नंदन-पु. हनुमान । २ लगाना, भूषित करना। ३ पुजना, पागधना करना। अंजनी-पु० मं०] १ काला अंजन । २ कटक वृक्ष। ३ घोड़ों ८ लेपन करना। का एक अशुभ चिह्न। ४ उक चिह्न बाला घोड़ा। - स्त्री०-५ गंध पदार्थो का लेपन करने वाली स्त्री। ग्रंचळ, अंचल-पु० [सं० अंचल | १ वस्त्र का छोर, पला। ६ अांख की पलक पर होने वाली फंसी, गुहंजनी । २ वस्त्र । ३ मीमांत भाग । ४ किनाग, तट । ५ गठबंधन । ६ वक्षस्थल पर रहने वाला स्त्रियों की अोढ़गगी का ७ हनुमान की माता। - चौथे नरक का नाम (जैन) पल्ला । ७ कुच, म्नन । ८ सीमा. हद । -ज, नंदन, पूत-पु० हनुमान । अंजरि, अंजरी-देखो 'अंजळी' । ----बंध-पु० वर-वधु का गठ-बंधन । अंजरूत-पु० गोंद । अंचळी-पु. १ साधु-संन्यासियों का ढील व मोटा कुर्ता, । अंजळ-१ देखो ‘अन्नजळ'। २ देखो 'अंजली' । चोला । - देखो 'अंचल'। अंजळउ देखो ‘ग्रंचळ'। अंचित-वि० सं०] १ पूजा हुअा, पूजित । २ प्रतिष्ठित, | अंजळि, अंजळी, अंजली-स्त्री० [सं० अंजलि १ दोनों हथेलियों मम्मानिन । ३ मुडा हुआ, झुका हुआ। ४ मिला हुआ. को कनिष्ठानों की ओर से सटाकर बनायी हुई मुद्रा । बना हुअा। ५ तप्त, नपाया हुअा। • इस मुद्रा का एक परिमारण। ३ इस मुद्रा में समाने अंच्या, अंछा-देखो 'इच्छा' । लायक वस्तु । ४ इस मुद्रा में भरा जाने वाला जल जा अंछाबस-वि० [सं० इच्छा-वण | लोभी, लालची। पितृ-तर्पण के काम आता है। ५ कर संपृट । अंछाबाळी-वि० लोभी। -- उपेत-वि० करबद्ध । अंछया-देखो 'इच्छा'। ---गत-वि० हस्तगत. प्राप्त । अंछया-संपत-पृ० या० म० इच्छा-मम्पति | धनपति कुबेर । -पुट-पु० कर संपृट । अंजरण-१ देखो 'अंजन'। २ देखो 'इंजन । --बंध, बध-वि० करबद्ध , हाथ में पाया हुया प्राप्त । अंजणकेस-पु. | सं० अंजन-केश] दीपक । -क्रि० वि० हाथजोड़कर ।। अंजणा-देखो 'अंजना'। अंजस पृ० १ अभिमान, गर्व । खुशी. प्रसन्नना। ३ यश, अंजणी-देखो 'अंजनी। कीति । -वि० गौरवान्वित, अकुटिल, मीधा । अंजणेव-पु० अंजनी पुत्र. हनुमान । अंजसणी (बौ)-नि० १ गर्व या अभिमान करना। २ खुणी अंजणौ (बी)- देखो प्रांजग्गो (बो)। मनाना। ३ गर्वोन्नत होना। अंजन-पु० [सं०] १ मृग्मा । २ काजल । ३ लेप । ४ रात्रि. अंजसा क्रि० वि० [सं०] १ शीघ्रता से, तुरन्त । • मीधाई गत । ५ स्याही । ६ माया । ७ पश्चिम दिशा। मे। ३ सच्चाई से। ८ उचित ढंग से । ८ इस दिशा का हस्ती। एक सर्प विशेष। १० एक -स्त्री० १ बेग, तेजी। २ मरलता। ३ मच्चाई । पर्वत का नाम । ११ वक्ष विशेष । १२ अग्नि । १३ एक अंजांण देखो ‘अजांगण' । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 799