Book Title: Rajasthan Jain Sangh Sirohi Sankshipta Report
Author(s): Pukhraj Singhi
Publisher: Pukhraj Singhi

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Page 5
________________ तारक तीर्थों-मंदिरों वगेरे नो परमतारक अजोड़ वारसो पापी गया छ । कवाच तेवो नवो वारसो आपणे सर्जन शकीये तोय मेलवा अमूल्य वारसानु संरक्षण करवानी आपणी जवाबदारी मांथी जराय चलित न थइये श्रेय आपणी महान अने नैतिक फरज बनी रहे छे । राजस्थान श्री संघ पोतानी फरजोनु पालन करवामां सुसफलता पामे अज अक नी श्रेक सदा माटे नी शुभाभिलाषा। जाणवा मुजब बालदीक्षा ऊपर प्रतिबंध मुकवा माटे सुप्रीम कोर्ट मां दाखल करायेल रीट अरजी नी सतावार माहिती मेलवी जो ते वात साची होय तो तेनो सबल अने सफल प्रतिकार करवा माटे य तमे सुन्दर प्रयत्न करो, ग्रे जरूरी छ । आवो प्रतिबंध श्रे श्री जैन धर्म नहीं मूलभूत मान्यता ऊपर कुठाराघात समान छ। द० मुनिहेमभूषण विजय ना धर्मलाभ द्वारा श्री जिनवाणी प्रचारक ट्रस्ट, 59, बैंक ऑफ इण्डिया बिल्डिंग, 185; शेख मेमन स्ट्रीट, मुम्बई-400 002 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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