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श्री केशरियाजी तीर्थ का मामला राजस्थान जैन संघ ने हो उठाया है और यह प्रयत्न किया है कि यह तीर्थ तथा इसकी प्रबन्ध-व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन चली गयी है उसको वापिस लिया जावे। उसके लिए समय-समय पर न्यायालयों द्वारा राजनैतिक स्तर पर पत्र-व्यवहार व कार्रवाईयां की गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले दिनांक 14-12-73 में यह महत्वपूर्ण घोषणा की कि "श्री केशरियाजी मंदिर जैन मंदिर है और इस मंदिर की व्यवस्था उस सम्प्रदाय को सुपूर्द की जावे जिस सम्प्रदाय का यह साबित हो ।' राज्य सरकार की ओर से इस विषय में कोई कदम नहीं उठाये गये जिस पर राजस्थान जैन संघ ने श्री उदयपुर श्री संघ के नाम से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय तामील करने हेतु सिविल रीट पिटीशन सं0 21/81 राजस्थान हाई-कोर्ट में दाखिल की और उसमें दिगम्बरों की ओर से इन्टरवेन्शन किया गया और राज्य सरकार और दिगम्बरं सम्प्रदाय ने अपने-अपने कथन प्रस्तुत किए हैं। अभी यह रीट हाई कोर्ट में लम्बित है इसका निर्णय निकट भविष्य में होगा। उसके उपरान्त दिगम्बर सम्प्रदाय की और से श्री केशरियाजी तीर्थ को दिगम्बर आम्नाय का तीर्थ घोषित करने के लिए डी० बी० सिविल रीट पिटींशन सं०........हाईकोर्ट में दाखिल की गई है और उसमें श्वेताम्बर सम्प्रदाय को अप्रार्थी बनाया गया है और यह रोट भी अभी लम्बित है। और इसका भी निर्णय होने में समय लगेगा। यहां पर यह उल्लेख करना आवश्यक है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय दिनांक 14f2-73 के
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