________________
श्री नारायणलालजी पल्लीवाल ने इस तीर्थ को श्वेताम्बर तीर्थ जाहिर करने को दिवानी दावा किया है और वह अभी चल रहा है। श्री नारायणलालजी पल्लीवाल का स्वर्गवास हो चुका है और जो नई युवकों की समिति बनी है उसको सफलता मिलने की पूरी आशा है।
राजस्थान जैन संघ की स्थापना व संचालन में स्वर्गस्थ उपाध्याय श्री धर्मसागरजी महाराज साहब का विशेष हाथ रहा है और उनकी प्रेरणा व सहयोग के लिए यह संघ उपाध्याय श्री का बहुत आभारी है। राजस्थान जैन सघ की आज दो विशेष उपलब्धियां हैं :
___1-श्री केशरियाजी तीर्थ को जैन तीर्थ घोषित करवाने की और उसका वहीवट आम्नाय वाले संघ को सुपूर्द कराने की अोर ।
2-स्वामी वात्सल्य का द्रव्य भी धार्मिक द्रव्य है और उसका उपयोग किसी अन्य कार्य एवं मद के लिए नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है। पूज्य उपाध्याय श्री धर्मसागरजी महाराज साहब के स्वर्गवास से जैन संघ व समाज को तो भारी क्षति पहुंची है क्योंकि वे ही एक ऐसी ज्योति पुज थे जिनसे समाज, संघ व कार्यकर्ताओं को प्रकाश मिलता था और उस प्रकाश में संघ व तीर्थ के वहीवटदार अपना रास्ता ढूंढ लेते थे लेकिन राजस्थान जैन संघ को इससे अपूरणीय क्षति पहुंची है फिर भी
( १५ )
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com