Book Title: Rajasthan Jain Sangh Sirohi Sankshipta Report
Author(s): Pukhraj Singhi
Publisher: Pukhraj Singhi

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Page 33
________________ प्रेरणादायक सहयोग के लिये सराहना की तथा राजस्थान जैन संघ के सन् 56 से लगाकर सन् 87 तक की उपलब्धियों के बारे में चर्चा को और राजस्थान पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, केन्द्रीय ट्रस्ट बिल तथा अन्य समाज विरोधी आपत्तिजनक प्रवृत्तियों के विरुद्ध जो कार्रवाईयां की गई उसका विवरण प्रस्तुत किया जिसमें श्री सम्मेदशिखरजी, राजगृही, चवलेश्वर, देवगढ़, प्रासिंद आदि कई तीर्थों संबंधी विवरण प्रस्तुत किये जिनको सदन ने बहुत ही ध्यानापूर्वक सुना और उसकी अनुमोदना की। राजस्थान जैन संघ द्वारा इस सम्मेलन में विभिन्न जैन संस्थाओं जिनके संयोजक श्री पुखराज जी सिंघी के व्यक्तित्व के साथ अध्यक्ष के नाते सम्बन्ध रहा है उन विभिन्न संस्थानों को प्रवृत्तियों का भी विवरण दिया और सगठन का कार्य मजबूत स्तर पर चलाया जा सके और उसका प्रस्ताव एवं स्वरूप क्या हो? उस विषय में श्री भूरचंदजी जैन, बाड़मेर, श्री जौहरोमलजी पारख, जोधपुर श्री चतुरसिंह जी गोड़वाड़ा, उदयपुर, श्री चम्पालाल जी सालेचा, श्री सुशीलकुमार जी छजलानी, जयपुर, श्री बाबूमल जी मुता, सिरोही, श्री लेखराज जी मेहता, जोधपुर, श्री मूलचंदजी, लुणावा, श्री सुकनजी बापना, पोसालिया, श्री शंकरलाल जी मुणोत, ब्यावर श्री लालचंद जी शाह, पिंडवाड़ा, श्री शांतिकुमार जी सिंघवी, जयपुर तथा श्री हीराचंद बैध, जयपुर ने चर्चा में भाग लिया और कई रचनात्मक सुझाव दिये। जिसके पश्चात् अध्यक्ष महोदय श्री सिंघी ने सारे विचारों ( ३३ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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