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सम्मेलन में अनोपमण्डल की आड़ में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा जैन समाज के विरुद्ध भ्रामक एवं घृणात्मक प्रवृत्तियों को रोकने के लिए राज्य सरकार का ध्यानाकर्षित करने को एक प्रस्ताव पारित किया और प्रतिबंधित साहित्य का पुर्नजीवन न हो उसके लिए सतर्कता बरतने को राज्य सरकार को निवेदन किया । ___ सम्मेलन का संचालन कार्य श्री कालूलाल जी जैन उदयपुर ने किया जिसके लिए उपस्थित डेलीगेट्स की ओर से उनकी सराहना की गई और उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।
सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों का तथा आज तक राजस्थान जैन संघ द्वारा को गई कार्रवाईयां और संघ की प्रवृत्तियों में उनके द्वारा दिये गये सहयोग के लिए अभिनन्दन किया गया। अध्यक्ष महोदय को श्री लेखराज जी मेहता ने धन्यवाद देते हुए उनसे अपील की कि वे रीढ़ की हड्डी के माफिक जो काय संचालन आज पर्यन्त करते रहे हैं आगे भी पूर्णतः समय देकर के संचालन करते रहें। इस कार्य में संघ का प्रत्येक व्यक्ति आपको पूर्ण सहयोग देने का संकल्प करता है। __उसके पश्चात् राजस्थान जैन संघ के प्रेरणा स्त्रोत स्वर्गीय उपाध्याय श्री धर्मसागर जी महाराज साहब तथा आचार्य श्री कैलाशसागर जी महाराज साहब के पनेरणादायक सहयोग के लिए आभार उपस्थित डेलीगेट्स मे प्रकट किया और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए शृद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही साथ दिवंगत कार्यकर्ताओं के प्रति भी शृद्धांजलि अर्पित की। तत्पश्चात् नवकारमंत्र के साथ सम्मेलन समाप्ति की घोषणा की।
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