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नाडलाई (जिला-पाली) में कुछ असामाजिक तत्वों ने वहां पहाड़ पर स्थित मंदिरजी में मूर्ति की क्षति पहुंचाई और उपद्रव किये उस विषय में भी राजस्थान जैन संघ एवं जैन संस्कृति रक्षक समिति, सिरोही की ओर से संयोजक ने कार्रवाई की तथा उचित पत्र-व्यवहार भी मन्त्रियों एवं उच्चाधिकारियों से किया
और उसमें सफलता मिली। श्री चुन्नीलाल जी, एडवोकेट का इस बारे में पूर्ण सहयोग रहा है और प्रयत्नशील रहे हैं।
कोलरगढ़ काण्ड के वक्त जैन संस्कृति रक्षक समिति का गठन हुआ और उस समय से उक्त समिति द्वारा समय-समय पर दिल्ली-जयपुर आदि स्थानों पर जाकर व्यक्तिगतरूप से अथवा सामूहिक रूप से कार्रवाई की गई और आज भी जैन संस्कृति एवं कला पर होने वाले आघातों एवं आक्षेपों का मुकाबला इस संस्था द्वारा किया जाता है।
सनवाड़, जिला उदयपुर में स्थानकवासी समाज व तेरापंथी समाज के बीच मतभेद उभरे और मंदिर एवं धर्मशाला आदि के ताले तोड़ने एवं नये निर्माण आदि की वारदातें हुई जिस पर संयोजक ने अपने व्यक्तिगत स्तर पर उदयपुर के कार्यकर्ताओं के साथ सम्पर्क कर सलाह-सूचन देकर समाधान कराने का प्रयत्न किया है और उसमें कुछ हद तक सफलता हासिल हुई।
संयोजक ने माण्डोली (शान्तिविजयजी गुरू मंदिर) तथा भाण्डवपुर तीर्थ तथा सुधर्मास्वामी विद्यापीठ, मानपुर के
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