Book Title: Rajasthan Jain Sangh Sirohi Sankshipta Report
Author(s): Pukhraj Singhi
Publisher: Pukhraj Singhi

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Page 22
________________ कार्यकर्त्ताओं को सलाह- सूचन एवं मार्गदर्शन दिया तथा आज भी दिया जा रहा है । डॉ० रामसिंह यादव, 14 उर्दू पुरा, उज्जैन ने साप्ताहिक हिन्दुस्तान के संस्करण दिनांक 2 नवम्बर, 86 में भगवान महावीर स्वामी पर विक्रान्त भैरव की साधना करने का आरोप लगाया था उक्त आरोप "तान्त्रिक यहां आकर साधना करते हैं" शीर्षकान्तर्गत छपा तथा, जिसके लिये संयोजक ने जैन संस्कृति रक्षक समिति की ओर से प्राचार्य श्री चन्द्रसागरसूरि जैन ज्ञान मंदिर, उज्जैन के कार्यकर्त्ताओं के माध्यम से डॉ० रामसिंह यादव से सम्पर्क किया और उन्हें सूचित किया कि उक्त लेख इतिहास सम्मत नहीं है और इससे जैन समाज व धर्म पर कुठाराघात हुआ है। चूंकि भगवान श्री महावीर स्वामी तीर्थंकर थे और उन्हें विक्रान्त भैरव की साधना की कोई आवश्यकता नहीं थी । परिणामस्वरूप श्री यादव ने खेद - पत्र तथा स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने अपने भ्रमपूर्ण लेखन के लिये समग्र जैन समाज से क्षमा याचना की ओर उक्त अंश को उक्त लेखन से निरस्त किया | सर्व हितकारक संघ, बम्बई के कार्यकर्त्ता श्री अरविन्द भाई पारख से संयोजक का सम्पर्क हुआ और उनके साथ विविध विषयों पर सलाह-सूचना, मार्गदर्शन एवं पत्र व्यवहार किया जाकर सहयोग दिया गया । श्री पारख के माध्यम से क्रॉस ब्रीडिंग, कत्लखाने बन्द करवाने, खेती सम्बन्धी मामलों में, ( २२ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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