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अनुकरण कर राजस्थान जैन संघ को सहयोग एवं मार्गदर्शन देंगे और उनके अधूरे कार्य को पूर्ण करने में सहायक होंगे।
भगवान श्री महावीर स्वामी मांसाहारी थे ? इस बाबत अनेकों बार इतिहासवेताओं द्वारा जैन धर्म एवं तीर्थकरों पर प्रहार किये गये। विशेषरूप से प्रो० ए० के० चटर्जी, कलकत्ता ने अपनी पुस्तक "ए कम्प्रीहेन्सिव हिस्टरी ऑव जैनिज्म" प्रकाशित की है और उन्होंने उसमें भगवान श्री महावीर स्वामी पर यह आरोप लगाया था कि "श्री महावीर मांसाहारी थे।" उसके लिए संयोजक ने श्री विजयसिंहजी नाहर, भूतपूर्व मंत्री, बंगाल तथा प्रोफेसर श्री ए० के० चटर्जी से सम्पर्क किया और उनका तथ्यों की ओर ध्यानाकर्षित किया और उसके लिए श्री चटर्जी ने अपनी पुस्तक में उचित संशोधन करने का आश्वासन दिया। इस सम्बन्ध में श्री हीराचंदजी जैन, अध्यक्ष, महावीर जैन सभा, मांडवला की ओर से भी उचित सहयोग मिला। इसके साथ-साथ मध्यप्रदेश की पाठ्य पुस्तकों में जीव हिंसा को प्रोत्साहित करने सम्बन्धी कई अध्याय छपे जिनमें जीव हिंसा का प्रचार था। अण्डे, मछली, मांस आदि के सेवन का प्रतिपादन किया गया था जिसके विरुद्ध भी पत्र-व्यवहार किया जाकर मध्यप्रदेश के शिक्षा सचिव से उचित संशोधन पाठ्य पुस्तकों में कराने में सफलता प्राप्त की। इसमें विशेष रूप से श्री नव जीव दया मण्डल, दिल्ली एवं मध्यप्रदेश अहिंसा
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