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पश्चात् दिगम्बर सम्प्रदाय को ओर से राजस्थान हाई कोर्ट में जो रीट केशरियाजी तीर्थ को दिगम्बर आम्नाय का घोषित करने के लिए प्रस्तुत की थी और लम्बित थी वह उन्होंने वापिस खींच ली है इसलिए अब वे इसकी घोषणा पाने के अधिकारी नहीं होंगे ऐसी आशा है। जहां तक व्यवस्था सौंपने का प्रश्न है राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम की धारा 52 व 53 के अनुसार इस तीर्थ का वहीवट राजस्थान सरकार को जैन सम्प्रदाय के उक्त आम्नाय को सौंपना है जिस आम्नाय का यह मंदिर साबित हो। इसलिए यह महत्वपूर्ण निर्णय शीघ्र ही होंगे।
श्री पावापुरी तथा राजगृही तीर्थों की प्रबन्ध व्यवस्था जो बिहार जैन श्वेताम्बर बोर्ड द्वारा की जाती है और जिसमें दो भिन्न ट्रस्टों। श्री जैन श्वेताम्बर सोसायटी एवं जैन श्वेताम्बर भण्डार तीर्थ, मधुबन द्वारा इन तीर्थों का कब्जा किया गया है और उसमें संयोजक, राजस्थान जैन संघ के प्रयत्नों से बिहार के पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के प्रावधानान्तर्गत “संघ'' की परिभाषा का संशोधन हुआ और संघ की परिभाषा शास्त्रों अनुसार मानी गई और आज तक उन तीर्थों की प्रबन्ध समिति का चुनाव दीपावली पर परंपरागत हुआ करता है ।
श्री महावीरजी तीर्थ । सवाई माधोपुर । में आया हुआ है उसमें दिगम्बर आम्नाय की प्रबन्ध व्यवस्था थी लेकिन ऐतिहासिक आधार पर यह श्वेताम्बर आम्नाय का मंदिर है।
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