Book Title: Rajasthan Jain Sangh Sirohi Sankshipta Report
Author(s): Pukhraj Singhi
Publisher: Pukhraj Singhi

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Page 3
________________ चंदनवाला बम्बई-6-2043 ना वैशाख वद 12 रविवार पूज्यपाद परमशासन प्रभावक सुविशालगच्छाधिपति व्याख्यान वाचस्पति प्राचार्यदेव श्री मद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज तरफ थी। देवगुरू भक्तिकारक सुश्रावक पुखराज जी सिंघी योगधर्मलाभ साथे लखवानु जे- तमारो ता. 3-5-87 नो पत्र मल्यो तेमा तमे - “ देलवाड़ा जैन श्वेताम्बर मंदिर, आबू पर्वत पर दिनांक 31 मार्च से 1 ज न, 1987 तक राजस्थान जैन श्री संघ सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। उक्त सम्मेलन में धार्मिक ट्रस्टों, संघों एवं जैन धर्म, कला, एवं संस्कृति पर होने वाले आक्षेपों एवं आघातों का प्रतिकार करने हेतु राजस्थान प्रदेश में एक सशक्त संगठन का गठन किया जावेगा। सम्मेलन की सफलता के लिए आपके आशिर्वाद एवं मार्गदर्शन की अपेक्षा है कृपया अनुगृहित करावें । 'पा प्रमाणे अणावी मारा आशिर्वाद अने मार्गदर्शन नी अपेक्षा राखो छो तो ते अंगे जणाववानु के- तमे प्रभुशासन नी मर्यादानुसार शास्त्रासापेक्ष रीते जे कांई सुदर कार्य करो तेमा मारा तमने शुभाशिर्वाद छ ज । राजस्थान श्री संघ जयारे एकत्रित थाय ज छे त्यारे समग्र राजस्थान मां धार्मिक ट्रस्टों नो वहीवट, सातक्षेत्रो तथा जीवदया-अनुकम्पा ना क्षेत्र नो वहीवट शास्त्रीय मर्यादानुसार थाय ते माटे नक्कर पगला विचारी तेनो निर्णय करे अने तेमां जे जे सुधारक विचारों के प्रशास्त्रीय प्रवृद्धियों प्रवेशो गई होय तेने दूर करवा पण निर्णय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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