Book Title: Rajasthan Jain Sangh Sirohi Sankshipta Report
Author(s): Pukhraj Singhi
Publisher: Pukhraj Singhi

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ हमारी संस्थाओं, प्रन्यासों, मंदिरों एवं तीर्थों की सम्पति एवं संस्कृति की सुरक्षा, संचालन व व्यवस्था आदि के बारे में एक ऐसा कानून बन जाना चाहिए जिससे संघ व समाज के प्रतिनिधियों द्वारा ही संचालन, व्यवस्था आदि का प्रावधान हो और सरकारी तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं हो। श्री संघ एवं समाज में कई ऐसे मसले है जिनके लिए हमारे आपसी मतभेद व कलह बढ़ते है और न्यायालयों में हमारी शक्ति व धन का अपव्यय होता है परिणामस्वरूप हम समाज व श्री संघ के हितार्थ कोई काम नहीं कर सकते है और हमारा समाज व श्री संघ प्रगति की ओर अग्रसर नहीं होता है इसलिए इस आन्तरिक स्थिति को भी सुधारना इस सम्मेलन का परम ध्येय होना चाहिए और इसी ओर में आपका विशेष रूप से ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं। समाज व श्री संघ के ढांचे में और विधि-विधान में बहुत कुछ त्रुटियां आ गई है। जिसके फलस्रूप आज संगठित तौर पर कोई काम समाज की प्रगति का नहीं हो रहा है। हम इस सम्मेलन में निर्णय करें तथा ऐसी व्यवस्था दें कि जिससे हमारे समाज व संघों के मामले न्यायालयों में न जावे और धन और शक्ति का अपव्यय रुके । मैं चाहूंगा कि राजस्थान प्रदेश में अपने श्री संघ की ओर से स्थानीय स्तर पर तीन व्यक्तियों की एक समिति बने जिसके समक्ष स्थानीय मामले रखे जावें और जो समिति जांच पड़ताल कर निर्णय दे उस निर्णय के विरुद्ध जिला स्तर पर एक अपीलांट समिति बने जहां अपील हो सके और अपीलांट समिति के निर्णय के विरुद्ध राज्यस्तर पर गठित ट्रिब्यूनल में ( ८ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44