Book Title: Rajasthan Jain Sangh Sirohi Sankshipta Report
Author(s): Pukhraj Singhi
Publisher: Pukhraj Singhi

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Page 7
________________ लेकिन राज्य की ओर से जो कानून बनते हैं उससे हमारी संस्कृति, धर्म, कला एवं धार्मिक व धर्मादा सम्पति का परिरक्षण नहीं होता है और इस क्षेत्र में निरन्तर हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है । राज्य सरकारों को इन संरक्षरण की आड़ में हमारे शास्त्रों में उल्लेखित विधि-विधान व कार्य प्रणाली के विरुद्ध कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । विशेष रूप से हमारे जो देवद्रव्य की रक्षा हमारे शास्त्रों में निहित है उस जैसी व्यवस्था विश्व के किसी धर्म अथवा कानून में नहीं है जिसके फलस्वरूप आज हजारों की संख्या में मंदिरों एवं स्थानकों का जीर्णोद्धार व निर्माण हो रहा है परिणामस्वरूप आज लाखों लोगों को रोजी-रोटी मिल रही है साथ ही साथ कला एवं संस्कृति की रक्षा भी हो रही है । इसके मुकाबले का एक भी उदाहरण उपलब्ध नहीं होगा । इसलिए राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम में जो प्रावधान हिसाब रखाने के तथा स्वीकृति के रखे गये है वे शास्त्रों के अनुरूप नहीं होने से हमारी व्यवस्था में हस्तक्षेप करते है और उससे कन्फलिक्ट पैदा होता है और करप्ट प्रेक्टिसेज बढ़ती है । हिन्दू धर्मस्व प्रायोग ने अपनी रिपोर्ट में जो सराहना जैन संघों व समाज द्वारा मंदिरों का जिर्णोद्धार और कला-संस्कृति के परिरक्षरण के बारे में की है उससे स्पष्ट है कि संस्कृति की रक्षा सरकारी तौर पर नहीं हो सकती और जो हस्तक्षेप देलवाड़ा जैन मंदिरों, जैसलमेर आदि अन्य मंदिरों के कला एवं संस्कृति के बारे में किया गया है और जो किया जा रहा है वह हर प्रकार से अनुपयुक्त है और तुरन्त बन्द होना चाहिए । ( ७ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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