Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay
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रायसेनइय सुत्तनो
सार
॥८४॥
Jain Educat
छे अने प माखण जेवुं सुंवाळु, कोमळ, अतिसुवासित, मनोहर छे.
[१२८] पनी उत्तरपूर्व पटले ईशान खूणामां आठ योजन लांबी पहोळी अने चार योजन जाडी पवी सर्वमणिमय एक मोटी मणिपीठिका छे. तेनी उपर साठ योजन ऊंचो एक योजन पहोलो पवो एक क्षुल्लक नानो महेन्द्रध्वज रोपेलो छे, पना उपर आठ आठ मंगळो अने ध्वजो वगेरे शोभी रह्यां छे.
ए नाना महेन्द्रध्वजथी पश्चिमे चोपाळ नामनो एक मोटो हथियारोनो वज्रमय भण्डार छे, एमां उत्तम प्रहरणो- परिघो तरवारो गदाओ अने धनुष वगेरे अस्त्रशस्त्र संघरी राख्यां छे. ए भण्डारमां साचची राखेलां सूर्याभदेवनां ए बधां अस्त्रशस्त्रो ऊजळां पाणीवाळां अणीदार अने विशेषमां विशेष तेजवाळां छे.
सूर्याभनो शस्त्र भंडार सिद्धायतनमां
५ एकसो- आठ
[१२९] सुधर्मा सभानी उपर आठ आठ मंगळो छत्रो अने धजाओ वगेरे शोभाजनक पदार्थों दीपी रह्यां छे. ए समानी उत्तरपूर्वे पटले ईशान खूणामां सो योजन लांधुं पचास योजन पोलुं अने बहोंतेर योजन ऊंचं एवं एक मोटुं सिद्धायतन आवेलुं छे. ए सिद्धायतननी बधी शोभा सुधर्मासभानी जेवी समजवानी छे.
१०
ए सिद्धायतननी बच्चोवच्च सोळ योजन लांबी पहोळी आठ योजन जाडी पवी एक मोटी मणिपीठिका आवेली छे. ए पीठिकानो उपर सोळ योजन लांबो पहोलो अने ते करतां थोडो वधारे ऊंचो पवो सर्वरत्नमय एक मोटो देवच्छंदक गोठवेलो छे. तेना उपर जिननी ऊंचाईए ऊंची एवी एकसो ने आठ जिनप्रतिमाओ बिराजेली छे.
प्रतिमाओना हाथपगनां तळियां तपनीयमय, नखो वच्चे लोहिताक्षरत्न जडेल अंकरत्नना, जांघो, जानुओ, ऊरुओ अने देहलता कनकमय, नाभी तपनीयमय, रोमराई रिष्टरत्नमय, चुचुको अने श्रीवृक्ष तपनीयमय, वन्ने ओष्ठो प्रवालमय, दांतो स्फटिकमय, जीभ १५ अने ताळबुं तपनीयमय, नासिका बच्चे लोहिताक्षरत्ने जडेल कनकमय, आंखो वच्चे लोहिताक्षरत्ने जडेल अंकरत्नमय, कीकीओ आंखनी पांपणो अने भवांओ रिप्ररत्नमय, बन्ने कपोलो कान भने भालपट्ट कनकमय, माथानी घडीओ वज्रमय, माथाना वाळ उगवानी
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| जिनमति
माओ
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