Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 487
________________ रायपसेण इय सुत्तनो सार यकंत न हतुं. वळी, ए राजा पोतानी आजीविका अधर्मथी ज चलावते. पना मोढामांथी 'हणो' 'छेदो भेदो' पवीज भाषा नीकळतो. प प्रकृतिए प्रचण्ड क्रोधी भयागक अने अधम हतो. पमा हाथ हमेशं लोहीभर्या-लोहीथी खरडापला ज रहेता. प चिनाविचार्ये प्रवृत्ति सूरियकता करनासे, हलकाओने उत्तेजन आपनारो, लांचियो, ठगारो, कपटी, बगभगत अने अनेक प्रकारमा फांसलाओ रची सवै कोईने दुःख राणी, सूरिदेनारो हतो. पनामां कोई प्रकारनां व्रत शील गुण के मर्यादा न हतां, कदी पण ए प्रत्याख्यान उपोसथ के उपवास न करतो, अनेक | मनुष्यो मृग पशु पक्षी अने सर्प वगेरेनो घातक इतो. टुंकामां ए राजा अधर्मनो केतु हतो. कदी ते गुरुजनोनो आदर न करतो, ५ युवराज विनय न करतो, तेम कोई श्रमण वा ब्राह्मणमा तेमे लेश पण विश्वास न हतो. आवो ते कर राजा पोताना आखा देशनी करभर कल्याणवृत्ति वरावर चलावी न शकतो. | मित्र चित्त [१४३] ए राजाने बोलवे चालवें हसवे कुशळ अने हाथेपगे सुयाळी सूरियकन्ता नामे राणी हती. पयेसी राजामा अनुरक्त प | सारथि राणी तेनी साथे अनेक प्रकारनां मानवी भोगोने भोगवती रहेती हती. [१४] पपसी राजानो मोटो दीकरो सूरियकन्ता राणीने पेटे अयतरेलो सूरियकन्त नामे युवराज कुमार हतो. ए युवराज, राजा | 100 पयेसीनां राज्य राष्ट्र बळ वाहन कोश कोठार अन्तःपुर अने समग्र देशनी पोतानी मेळे संभाळ करतो रहेतो हतो. ॥९९॥ [१४२] ते पयेसी राजाने तेनाथी मोटो, भाई अने कल्याणमित्र जेवो, चित्त नामे एक सारथि हतो. संपत्तिवाळो ए कोईथी न __९३ आ माटे टीकाकार 'चित्र' शब्द वापरे छे. दीघनिकायमा आ माटे 'खत्ते' शब्द छे. आ सूत्रमा जेम राजा पएसो अने चित्त बच्चे गाढ संबंध बतायेलो छे तथा ते थेनो बच्चे विशेष बातचीत थयानी हकीकत लखेली छे, तेम दीघनिकायना पायासिसुत्तंत प्रकरणमां राजा पायासि अने खत्ते बच्चेनो संबंध जणावेलो छे अने ते बेनी बच्चे विशेष वातचीत थयानी नेधि करेली छे. 'सत्ते' नो संस्कृत |२०| पर्याय क्षत्तृ-क्षत्ता छे अने तेनो अर्थ सारथि-रथ हांकनार-छे. ["सूतः क्षत्ता च सारथिः"-अमरकोश कां० २ क्षप्रियवर्ग लो० ५९.] हुं न Jan Educati o nal For Private Personel Use Only wjainelibrary.org

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