Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 512
________________ रायपसेण इय सुत्तनो सार ॥१२४॥ मरीने स्वर्गमां गपलो प्राणी अहीं नथी आवी शकतो, तेनुं कारण स्वर्गना मोजशोखो तरफ तेनी विशेषतम अभिरुचि छे, नहि लोढानी के ते नथो ज, तेथी हे पपसी! तुं एम समज के जीव जुदो छे अने शरीर जुदु छे, पण ते बन्ने एक नथी. कुंभीमा [१७१] वळी फरीने पएसी बोल्योः नाखेला हे भंते ! जीव अने शरीर जुदां जुर्दा नथी ते माटे आ एक वीजो पुरावो ध्यानपूर्वक सांभळोः चोरना उहे भंते ! तमे एम समजो के कोई एक दिवसे मारी बहारनी उपस्थानशाळामां मारा मंत्री वगेरे परिवारथी घेरापलो हुँ राजर्मि- दाहरणथी हासनमा बेठो होउं, ते वग्नते मारा कोटवाळो कोई एक चोरने पकडी लावे, हुं ते चोरने जीवतो ने जीवतो लोढानी कुंभीमां पूरी अजीववाद दउं, तेना उपर लोढानु ढांकणुं सज्जड ढांकी दडं, तेने लोढा तथा सीसाना रसथी रेवरावी दउं अने तेना उपर मारा विश्वासु सैनिकोनी चोकी मूकी ते लोहकुंभीनी साचवण करावं. पछी वखत जतां हुँ पोते जाते ते कुंभीने खोलावू तो तेमां पेला पूरेला पुरुषने मरेलो जोउं दु. जीव अने शरीर जुदां जुदा होय तो प पुरुषनो जीव कुंभीमांथी बहार शी रीते जाय? कुंभीने क्याय राई जेटलुं पण काणुं नथी, जेथी जीवने बहार जवानो मार्ग १० मळी शके. कुंभी क्याय जरा पण काणी होत तो एम मानी पण शकात के जीव बहार नीकळी गयो छे अने तेथी एम पण ठरत के शरीर अने जीव जुदां जुदां छे, पण आ कुंभी तो क्यांय काणी ज नथी पटले जीव जुदो होय तो पांथी नीकळी शी रोते शके? | माटे जीव अने शरीर बन्ने पक छे अने शरीर अक्रिय थतां जीव पण अक्रिय थाय छे, ए मारुं धारदुं बराबर छे. [१७२] केशी कुमारश्रमण बोल्याःपांचसो योजन जाय छे माटे बे संख्या बतावी छे एम श्रीअभयदेवसूरि कहे छे. ("कदाचित् भरतादिषु एकान्तसुषमादौ चत्वारि, अन्यदा तु २५| पञ्चापि"-पृ० २४४ स्था० टी०) Jhin Education ItemBonal For Private Personal Use Only wouldjainelibrary.oro

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