Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 516
________________ रायपसमा इय सुत्तना सार ॥१२८॥ हे भंते ! जैम कोइ तरुण पुरुष, लोढाना सीसाना के जसतना मोटा भाराने उपाडवा समर्थ छे, तेम ते ज तरुण पुरुष ज्यारे जीवता अने डोसो थाय अर्थात चामडी बधी लबडी गपली, गात्र तमाम ढीलां, दांतो बधा खरी गएला अने चालतां लाकडीनो टेको लीघेलो पयो मुएलाना घरडो थाय, त्यारे एवा मोटा भारने उपाडी शकतो देखातो नथी. वजनमा हे भंते ! तरुण मटी एवो पडोसो थएलो पुरुष, एवा मोटा भारने पण उपाडी शकतो देखाय, तो हुँ एम मार्नु के जीव जुदो । फरक नथी छे अने शरीर जुदुं छे, अन्यथा मारी मान्यता ज बराबर छे. माटे जीव [१७८] केशी कुमार बोल्या: नथी हे पएसी! एवंडो मोटो भार तो कोई हट्टोकट्टो पुरुष ज उपाडी शके. वळी, पवा हट्टाकट्टा तरुण पुरुषनी पासे भार उपाडवानां साधनो बराबर न होय तो ए पण पवा भारने न उपाडी शके. धार के, कोई हट्टोकट्टो तरुण पुरुष तो छे, पण तेनी पासे भार उंचकवानी जे कावड छे, ते पातळी अने घुणे खाधेली छे, कावडनां शिकां दोरडां अने वांसनी सळीओ ए वधूय एवं सडेलुं छे, आम होवाथी एवो बळवान पुरुष पण ए भारने न उठावी शके अर्थात् भार उपाडवामां सुदृढ शरीर उपरान्त बीजी पण कळवकळ होवी जोइए अने उपकरणो पण पूरतां होवां जोइए. तरुण मटी पेला डोसा थयेला पुरुष पासे ए बधुं होत, तो ए पण एवो भार जरूर उपाडी शकत; माटे तारे एम मानवु जोइए के शरीर अने जीव जुदा जुदा छे पण ते बन्ने एक नथी. [१७९] पपसी बोल्यो: हे भंते ! में पक जीवतो चोर तोळ्यो, पछी तेने जीवथी मारी नाखी फरीवार तोळ्यो, जीवतां तेनु जे वजन हतुं तेज वजन तेना मडानुं हतुं-ए बन्ने वजनमा लेश पण फरक न हतो. जीव अने शरीर जुदां जुदां होय अने जीव शरीरमांथी नीकळी जतो होय, तो १५ मडान वजन घटवू जोइप. हे भंते ! ए बन्ने स्थितिमां वजननो जराय फरक जणातो नथी, माटे हुं एम मार्नु छु के जीव अने शरीर एक ज छे पण जुदां जुदा नथी. Jan Education For Private Personel Use Only Twittainelibrary.org

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