________________
रायपसेणइय सुत्तनो
सार
मोटा ढांकण नीचे होय तो वधारे भागमा प्रकाशे छे अने नाना ढांकण नीचे होय तो ओछा भागने प्रकाशे छे. तेज न्याये. हे पएसी! आ जीव पण जेवडा-मोटा के नाना-शरीरने मेळवे छे, तेवडा शरीरना बधा भागोने पोताना असंख्य आत्मप्रदेशो द्वारा सचित्त करी
पएसीशके छे, पछी भलेने शरीर मोटामा मोटुं होय के नानामां नानु होय; माटे हे पएसी! तुं एम समज के हाथीनो अने कंथवानो जीव
| मारी परंएक सरखो छे अने तुं पम पण मान के जीव अने शरीर जुदा जुदा छे पण एक नथी.
पराने केम [१८८] राजा बोल्योः
छोडं ? हे भंते ! 'जीव अने शरीर एक छे' पर्यु हुं कांइ एकलोज मानतो नथी, पण मारा दादा अने मारा पिता एमज समजता आल्या
खोटी परंछे, पटले मारी ए समज कुलपरम्परानी समज छे, बहुपुरुष परम्पराथी चाली आवेली छे, तो हे भंते ! मारा कुलनी ए दृष्टिने हुँ
परा तो शी रीते छोडी शकुं?
छोडवीज [१८९] केशी श्रमण बोल्याः
जोइए एवं हे पपसी ! तारी ए समजने तुं नहि बदलावीश, तो पेला लोढानो भारो नहि छोडनारा कदाग्रही पुरुषनी पेठे तारे पस्तावू पडशे. |१०|
उदाहरण राजा बोल्योः
साथे भंते ! लोढानो भारो नहि छोडनारो कदाग्रही पुरुष वळी कोण हतो अने तेने पस्ता, केम पड्यु ?
समर्थन केशी कुमार बोल्याः
पएसी! केटलाक धनार्थी लोकी विपुल करीयाणां भरीने अने साथे घणु वधु भातुं लाने, ज्यां कोई आवेलुं नहि पवी एक मोटो ॥१३५॥ लांबी अटवीमां जइ चड्या. त्या कोई एक स्थळे पहोंचता तेमणे जेमां घणुं लोढुं दटायेलु छे एवी एक मोटी लोढानी खाण जोई. १५
खाणने जोतांज खुशीमां आवी जई तेओ परस्पर कहेवा लाग्या के आ लोढुं आपणने विशेष उपयोगी छे, माटे तेने भारा बांधी लइ जवू सारुं छे.
Jain Educati
o nal
For Private Personal use only
w.jainelibrary.org