________________
रायपसेणइय सुनो
सार
॥१४०॥
[१९९] खोळना वाडामां ज्यारे घाणीओ चालती होय, तल पीलाता होय, लोको भेगा थइने सानी खाता होय, एक बीजा परस्पर सानीने लेता देता होय, त्यारे ते रमणीय जणाय छे, पण ज्यारे घाणीओ ज बंध होय कोइनी अवरजवर न होय, त्यारे ते अरमणीय भासे छे. तेम हे परसी ! तु पहेलां रमणीय थइने पछी पाछळथी अरमणीय न थतो.
[२००] राजा परसी बोल्यो:
हे भंते ! तमे जणावेलां उदाहरणोनी पेठे हुं पहेलां रमणीय थइ पछी अरमणीय नहि थउं में तो पवो विचार कर्यो छे के हाल ५ मारा तावामां सेविया प्रमुख जे सात हजार गामो छे तेना चार भाग पाडु: एक भाग राज्यनी व्यवस्था अने रक्षण माटे वलवाहनने सोंपुं, एक भाग कोठार माटे राखुं, एक भाग अंतःपुरनी रक्षा तथा निर्वाह माटे दउं अने एक भागनी पेदाशमांथी एक मोटी कूटागारशाळा बनावु, तेमां अनेक पुरुषोने पगारदार, पेटवडिये के भाडे रोकी खानपान खादिम स्वादिम तैयार करावं कने ए बधुं अनेक श्रमण, ब्राह्मण, भिक्षु तथा प्रवासी वटेमार्गुओ वगेरेमां वर्हेचावु, तथा हुं शीलव्रत, गुणव्रत, विरमण, प्रत्याख्यान अने पोषधोपवासद्वारा जीवनयापन करतो रहुं. हे भंते! मारी आ धारणा छे.
एम कही ते राजा पोताना परिवार साथै केशी मुनीने वांदी नमी पोताने स्थानके चाल्यो गयो.
[२०१] नगरीमां आवी राजाए जे धारणा केशी मुनीने निवेदी हती, ते प्रमाणे वधी व्यवस्था करी दीधी अने पोते पण ते रीते आचरवा लाग्यो.
[२०२] हवे तो राजा पएसी श्रमणोपासक थयो, जीव अजीव वगेरे तत्त्वोनुं तेने भान थयुं, ए प्रवृत्ति सर्वनी जेम ओछो वने अने संरमां जेम अधिक रहेवाय तेम ते वर्तवा लाग्यो एटले राज्य, राष्ट्र, वळ, वाहन, भंडार, कोठार, गाम नगर अने अंतःपुर १५ तरफ तेनुं ध्यान आपो आप ओलुं रहेवा लाग्.
Jain Educationtentional
१०
For Private & Personal Use Only
पएसीए
करेली
पोताना
धननी सुव्यवस्था
w.jainelibrary.org