Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 488
________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार ॥१०॥ दवाय एवो हतो. बळी, ए चित्त सारथि अर्थशास्त्रमा सूचवेला साम दाम भेद दण्ड वगेरे राजकारणी उपायोमां कुशल हतो, हाजर जवावी, अनुभवी हतो. औत्पत्तिकी वैनयिकी कर्मज अने पारिणामिक पवी चारे प्रकारनी बुद्धि पनामा हती. राजा पपसी, तेना पोतानां कुणालदेशअनेक कार्योनां कारगोनां कुटुम्बोनां मन्त्रणाओनां छपां कामोनां रहस्यभूत बनायोनां अनेक जातनां निर्णयोनां अने पवा वीजा मेद | सावत्थी भरेला अनेक प्रकारना राजकारणोना व्यवहारोनां विधानोमां तेनी सलाह लेतो.राजाने मन ए सारथि खळाना वचला स्तम्भ जेवो हतो। नगरीजितअने राजा पने प्रमाणभूत, पोतानो आधार, आलम्बन अने पोतानी आंख जेवो ज समजतो हतो. ए सारथिमा राजा पयेसीनो खूप || शत्रु राजा विश्वास हतो, माटे ज ५ अनेक प्रकारनी राजखटपटोमा अने बीजां पण विविध प्रकारनां राजकार्योमा पोतानी सलाह आपी शकतो. बीजी रीते कहीए तो ए सारथि, राजा पयेसीना समग्र राज्यनी धुराने चहेतो हतो. [१४६] जे वस्त्र ते राजा पयेसी सेयविया नगरीमा राज्य करतो हतो ते वखते राजा जितशत्रु कुणालदेशनी सावत्थी" नगरीनो भूलतो होउं तो रायपसेणइयमा जे 'चित्ते' शब्द वपरायो छे ते, ए खत्ते' ने बदले छे अने तेम थवामा लिपिभ्रम कारण जणाय छे 'खत्ते' शब्द कोई काळे 'चित्ते' पंचायो होय अथवा चकारबहुल भाषावाळा लोको ते 'खत्ते' ने 'चित्ते' समया होय. कवर्गने बदले चवर्ग बोलवानो रिवाज गूजरातना केटलाक भागमा कांई नवो सवो नथी, एथी 'खत्ते ने बदले 'चित्ते' या पछी ते-'चित्ते'-विशेष नाम कल्पायुं होय अने त्यारबाद ते माटे 'सारहि'- सारथि एबुं विशेषण योजायु होय एम केम न बने ? दौघनिकायमा ‘खत्ते' पद निर्विशेषण होवाथी 'चित्ते' उपरथी 'खत्ते' नी कल्पनाने अवकाश रहेतो नथी. ९४ सूत्रोमां आ नगरीने कुणालनी राजधानी कहेली छे. टीकाकारो तेने 'श्रावस्ती कहे छे. दीघनिकायना महासुदस्सन सुत्तेतमा सावत्थीने ते समयनुं 'महानगर कहे लुं छे, 'सहेतमहेत' ना नामथी जे गाम आजे जाणितुं छे ते आ 'सावत्थी' छे एम प्राचीन भूगोळना शोधको कहे छ. आ माटे वधारे जाणवा सारु जुओ मारी 'भगवान महावीरनी धर्मकथाओ' मानु 'श्रावस्ती' उपरर्नु टिप्पण. in Education a l For Private & Personal use only wir.jainelibrary.org

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