Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 490
________________ रायपसेणइय सुचनो सार पाछळ थीभावानी सायरथी नाव करतो करतो घोडा उभा ॥१०२।। चित्त सारथि प भेटणु लई पोताने घेर आन्यो अने तेणे पोताना कौटुम्बिक पुरुषोने बोलावीने कहां के-हे देवानुप्रियो ! मारे माटे छत्रीयाळो चार घण्टाबाळो पयो घोडा जडेलो रथ जलदी तैयार करी हाजर करो. कौटुम्विक पुरुषो ए रथनी तैयारीमा लाग्या पटला समयमा चित्त सारथि नाह्यो, बलिकर्म कयु, बस्तर दहेर्यु, भाथु बांध्यु, गळामां हार साथे राजचिवाळो पट्टो पहेयों अने जोइतां हथीआर-पडीआरो पण बांधी लीधां. पछी पेलुं राजाए आपेलं भेटणु लई, तैयार थईने आवेला रथ उपर चित्त सारथि बेठो, तेने माथे पक जणे कोरंटकना फूलनी | माळावा छत्र धर्यु अने रथनी पाछळ हथीआरबन्ध वीजा अनेक माणसोने पण तेणे साथे लीधा. प रीते ते सेविया नगरीथी नीकळी केकयिअर्ध देशनी बच्चे थतो कुणाल देशनी सावत्थी नगरी तरफ जवा लाग्यो. बच्चे बच्चे बहु लावा नहि पचा सुखरूप शिरामणीवाळा पडाव करतो करतो ते सावत्थी नगरीए जई पहोंच्यो. त्यां जितशत्र राजाना घरनी जे बाजु बहारनी उपस्थानशाळा हती त्यां जई तेणे घोडा उभा राख्या, रथने स्थिर कयों, पछी रथथी उतरी पोताना राजाए आपेलु मेटणु लई जितशत्र राजाना घरमां अंदरनी उपस्थानशाळामां गयो, त्यां पहोंची राजा जितशत्रुने १० प्रणाम कर्या, तेने 'जय हो विजय हो' एम कहोने वधान्यो अने पछी राजा पयेसीप मोकलेलं भेटणु नजर कयु. __ ए मेट स्वीकारी जितशत्रु राजाप चित्त सारथिनो सत्कार कर्यो, सन्मान कयु अने ऊतरवा माटे राजमार्ग उपरनो एक मोटो आवास काढी आप्यो. चित्त सारथि सायस्थी नगरीनी बच्चोवच्च थतो ते आपेले उतारे जा पहोंच्यो, नाह्यो, पलिकर्म कयु, मांगलिक शुद्ध वस्त्रो पहेयी, नाना पण महामूल्य घरेणांथो शरीरने शणगायु. __पछी जमी करीने चोक्खो थई सुन्दर रीते गोठवेला सिंहासन उपर आवीने बेठो एटले बपोरने वखते नमते छांये एनी सामे | २५ गान्धर्वो मधुर गीतो गावा लाग्या अने कुशळ नाचनाराओ सुंदर नृत्य करवा लाग्या. आ रीते मानवभोग्य योग्य उत्तम सुखोने भोगवतो ते त्यां सावत्थी नगरोमा रहेषा लाग्यो. Jan Education inte For Private Personel Use Only orary.org

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