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रायपसेणइय सुचनो
सार
11८२॥
ते दरेक महेन्द्रध्वजोनी आगळ सो योजन लांबी पचास योजन पहोळी अने दस योजन उंडीएवी नन्दा नामनी पुष्करिणीओ आवेली छे. पनां पाणी सामान्य पाणी जेवां मीठा रसवाळां छे. ___ए प्रत्येक पुष्करिणीओनी चारे कोर पूर्व वर्णवेलां पद्मवरवेदिकाओ अने वनखंडो आवेलां छे अने पुष्करिणीओमां त्रण बाजु सरस सोपानो गोठवेला छे तथा उपर बेसाडेला तोरणो, ध्वजो, आठ आठ मंगळो अने छत्रो बगेरे त्यां ठेकठेकाणे दीपी रहेला छे.
ए सुधर्मासभामा पूर्व अने पश्चिममा सोळ सोळ हजार तथा दक्षिण अने उत्तरमा आठ आठ हजार पेढलीओ बांधेली छे. प ५ पेढलीओ उपरनां पाटीयां सुवर्ण रजतमय अने ते उपर जडेला नागदन्तो बज्रमय छे. ते नागदन्तोमा काळा सूतरनी माळाओ लटके छे.
वळी, ५ सुधर्मासभामां प पेढलीओनी जेवीज अने जे उपर सुखे सई शकाय पची सुकोमळ सुंदर शय्याओ धीछापली छे, पवी अडताळीश हजार गोमानसीओ आवेली छे. ते गोमानसीओनी पासे ज जडेला नागदन्तोमा टांगेलां रजतमय शिंकां उपर वैडूर्यमय धूपघडीओ मूकेली छे अने ५ धूपघडीओमाथी नीकळतो सुगन्धमय काळा अगरनो धूप चारे कोर महेकी रह्यो छे.
[१२६] सभानी अन्दरना भागर्नु भौतळ तद्दन सपाट अने विविध मणिओथी बांधेलु छे अने ते उपर सिंहासन चन्दरवा वगेरे सामग्री सरस रीते सजेली छे.
वळी, ए भोंतळनी बच्चोवच्च सोळ योजन लांबी पहोळी अने आठ योजन जाडी पची सर्वमणिमय एक मोटी मणिपीठिका
८३ अहीं पण मूळ पाठ अने विवरणमा मोटो भेद छे. मूळ पाठ 'दस जोयणाई छे त्यारे विवरणनो पाठ 'द्वासप्ततियोजनानि छे अर्थात् मूळमां 'दस योजन' लखेला छे त्यारे विवरणमां 'बहोंतेर योजन' लखेलां छे. आ स्थाने पण मात्र एक भावनगरनी प्रतिमा विवरणमा 'दश योजनानि' पाठ आवे छे अने तेने ज अहीं राख्यो छे, आम करवायी ज मूळ अने विवरणनो विसंवाद मटे छे. समितिवाळी आवृत्तिमां तो ए |१५/ विसंवाद कायम रहेलो छे. बळी विवरणमा जे 'बहेतिर योजन' लखेटु छे ते पण विचारणीय तो खरुंज ने !
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