Book Title: Raipaseniya Suttam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 477
________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार त्यां तेणे जलक्रीडा अने जलनिमज्जन सारी रीते कीं, पछी ते चोक्खो अने परमशुचिभूत थई धरामाथी बहार आव्यो अने ज्यां | सूर्याभदेवनं अभिषेकसभा हती त्यां गयो. स्नान अभिषेकसभाने प्रदक्षिणा करतो ते पूर्वद्वारे तेमां पेठो अने त्यां गोठवेला मुख्य सिंहासन उपर जई चडी बेठो. सूर्याभदेव[१३५] पछी तेनी सामानिक सभाना देवसभ्योए त्यांना कर्मकररूप आभियोगिक देवोने बोलाव्या अने हुकम आप्यो के नो इंद्रा भिषेक हे देवानुप्रियो ! आपणा स्वामी आ सूर्याभदेवना महाविपुल इंद्राभिषेकनी तैयारी करो. उक्त आशा सांभळतां ज ते आभियोगिक देवोप त्यांथी ईशान खूणामां जई एक बे वार वैक्रियसमुद्धात करी लीधो अने ते द्वारा अभिषेकनी सामग्री माटे एक हजार आठ एक हजार आठ पवा घणा पदार्थों बनावी लीधा; जेवा के ||८९॥ सोनाना, रूपाना, मणिना, सोनामणिना, रूपामणिना अने सोनारूपामणिना कळशो बनान्या, भौमेय कलशो घडी काल्या; तेज प्रकारे अने तेटली ज संख्यामां भृङ्गारो, आरिसा, थाळो, पात्रीओ, छत्रो, चामरो, फूलनी अने मोरपींछ बगेरेनी चंगेरीओ, तेलना, हिंगळोकना अने आंजण वगेरेना डयाओ अने धूपधाणांओ ए बधु एक हजार आठ एक हजार आठनी संख्यामां रची नाख्यु. ए बधी स्वाभाविक अने बनावटी सामग्री लई ते आभियोगिक देवो तिरछा लोक तरफ जवा वेगवाळी गतिथी झपाटाबंध उपड्या. ए बाजु असंख्य योजन जतां जतां तेओ क्षीरसमुद्र पासे आवी पहोंच्या, तेमांथी क्षीरोदक अने त्यांना प्रशस्त उत्पल वगेरे कमळो लई त्यांथी तेओ पुष्करोदक समुद्रे जई पहोंच्या. त्यांनां पवित्र पाणी अने पुष्पादिक लई ते आभियोगिक देवो भरत परवतमा आवेलां मागध, वरदाम अने प्रभास तीर्थों तरफ उडया. त्यां पहोंची तीर्थजळ अने तीर्थधळ लई तेओ गंगा सिंधु रक्ता अने रक्तवती नदी ओने ओवारे ऊतर्या. त्यांनां शुचि पाणी अने माटी लेताक तेओ चुल्लहिमवंत वगेरे पर्वतो तरफ जइ चड्या. त्यांथी पाणी पुष्प अने सर्व प्रकारनी औषधि सरसव वगेरे लीधुं. त्यांथी तेओ पद्मपुंडरीकना धरा तरफ गया. त्यांनु चोक्खं पाणी वगेरे भरी त्यांथी हिम Jain Education remona For Private & Personel Use Only whiainelibrary.org

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