Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya Author(s): Manoharshreeji Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar View full book textPage 8
________________ पुरुष, अनुयोग आचार्य श्री कान्तिसागरजी महाराज साहब जन समूह को आशीर्वाद प्रदान करते हुए पधार रहे थे। उनके साथ पूज्य आचार्य श्री यशोभद्रसरिजी म , श्री रेवतसूरिजी म , श्री लब्धिचंद्रसूरिजी म, श्री शान्तिविमलसूरिजी म. श्री यशोदेवसूरिजी म, श्री अरिहंतसिद्धसूरिजी म., श्री भानुचंद्रसूरिजी म , श्री जयचंद्रसूरिजी म. पंन्यास श्री हेमप्रभविजयजी म. गणिवर्य श्री हेमप्रभविजयजी म आदि मुनि मंडल जुलूस की शोभा में अभिवृद्धि कर रहा था। तत्पश्चात् मालाओं से लदे संघपतियों की चाल तो देखने जैसी थी। और उसके बाद विशाल मानव समूह चल रहा था। चारों ओर मानव ही मानव नजर आ रहे थे। उनके पीछे भव्य शिखरबद्ध जिनालय शोभा को दुगुनी कर रहा था। उनके पीछे बीजापुर का प्रसिद्ध बेंड आकाश गुंजारव कर रहा था। फिर शताधिक आर्या मंडल और फिर सन्नारियें। दो मील लंबा असा वरघोडा पालीताणा की प्रथम एवं तिहासिक घटना है। जिलाधीश, नगरपालीका के चीफ आफिसर, पुलिस अधीक्षक, कस्टम आफीसर, आई. टी. ओ आदि शताधिक सरकारी अफसरों ने पूज्य गुरुदेव को नमन कर जुलूस की अगुआनी की। पद यात्रा संघ, पालीताणा महातीर्थ पर प्रतिवर्ष ३-४ आते ही रहते हैं, लेकिन जैसा आज तक नहीं हुआ, जब नगर की ९८ जातियो ने पृथक्-२ रुपसे पूज्य गुरुदेव को वंदन किया हो एवं संघपतियों को पुष्पहार पहनाकर उनका अभिनंदन किया हो। नगर के प्रत्येक मकान के ऊपर देखो, पेडों पर देखो, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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