Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 21
________________ ___ संघ भूमिकामहत्वपूर्ण था कार्य सामने, बाडमेर से पालीताणा पैदल यात्री संघ सहित, ऋषभ जिणंद दर्शन पाना ९७ पूज्येश्वर प्रखर प्रेरणा और प्राप्त था निर्देशन चातुर्मास अवधि से ही, एक जुट हुवे कार्यकर्तागण ९८ संघपति भवरजी बोहरा का था दिल उदार लिया संघभार हार्दिक लगन सह कार्यमग्न, दिनरात एक किया उसवार ९९ पैदलयात्री संघ कार्यक्रम की रूपरेखा तैय्यार हुई प्रचार पत्र द्वारा पूरे भारत में सौरभ फैल गई १०० वर्तमान युग में खरतरगच्छ की शान बढ़ाने वाला है अनुयोगाचार्यश्री की निश्रा में ऐतिहासिक संघ निराला है १०१ खरतरगच्छीय मुनि साध्वीगण, शामिल हो पुनीत प्रवास में आग्रह करने संघ प्रतिनिधि आये छत्तीसगढ़ प्रान्त में १०२ आदेश लिखित पुज्येश्वरका रख सन्मुख बोल उठे सत्वर अति शीघ्र रवीकृति बक्षावें, बडे खुश थे मंजुरी पाकर १०३ गुरुकृपादृष्टि जीवन्त बने, मैं हूँ उपकारों से उपकृत निश्रीप्रदान यात्रा हेतु, दूरी में याद किया प्रेषित १०४ बाडमेर से संघ प्रस्थान प्रथम दिवषऐतिहासिक संघ की भव्यछटा, वर्णन करने मन झुम उठा प्रारंभिक मेला दर्शनीय था, बाडमेर का अनूठा १०५ अनुयोगाचार्य की निश्रा में. ठहरे कई प्रान्तो के यात्री स्वकार्यलीन व्यवस्थापक, किन शब्दों में कहुँ कृतखात्री १०६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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