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संघकी दिनचर्याजंगल में मंगल वर्ताता गतिशील संघ की दिनचर्या प्रातः सन्ध्या में प्रतिक्रमण, तपजप शक्ति अनुरुप किया ११७ करते विहार प्रतिदिन प्रातः छह बजे पूज्यश्री संघसाथ हाथी रथ घोडा उंट बैन्ड अनुपम छबी क्या कहुं नाथ ११८ प्रभुदर्शन मात्र पूजन करते, गुरुधंदन अरु व्याख्यान श्रवण दोनों टाइम अनुकुल भोजन, पश्चात् रात्रि में प्रभु भजन ११९ प्रश्नापुरुष आचार्य देव, जिनके बल पर था जोर शोर निर्णित क्षेत्र पावन करते दशवे दिन संघ पहुंचा साचोर १२० पांचसौ घर है जैनों के संघ स्वागत को वे बने तत्पर सामेला का भव्य आयोजन, नगर सजावट अति सुन्दर १२१ साचोर की दादावाड़ी में, पच्चीस हजार प्रदान किया बस्तीवालो को भोजन दे स्वधर्मी भक्ति का लाभ लिया १२२ पैदल यात्री संघकी महान, विशेषता ये रही हरदम जिन गांवों में विश्राम लिया, दिया प्रामीण को पूरा भोजन १२३
गुरुदेव संघ से पृथक् हुए (भूल भूलैय्यामें) प्रतिदिन यात्राक्रम हैजारी, त्रयोदशी बुध को पहुंचा थराद गुरुको विश्राम था ढीमामें, भोरोल होके जाना था बाव १२४ थराद से आगे बढ़कर के, ढीमा में यात्री विश्राम किये गुरुदेव भूलतः मार्ग दूसरे, सीधे बाव में पहुंच गये १२५
मणिभक्तिमणिप्रभ मुनिजी थे कुछ पीछे, गुरुदेव साथ होने को बढे दूरी में भी जब दिखे नही, सोचे यह राह गलत पकडे १२६
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