Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 28
________________ १८ धन्य धरा धन्य जननी, परिवार धन्य सारा है धन्य धन्य भंवर जीवन, लाखों से स्तुत्य प्यारा है १७६ गुरुदेव कृपादृष्टि में सदा भीगा रहता है तुम्हारा मन श्रद्धावनत गुरु पदधूली, गा करके महक उठा है चमन १७० सिद्धक्षेत्र की सभा स्वयं उद्यत है तेरे स्वागत को संघपति जयध्वनि प्रसारित, उर्ध्व मध्य स्तुत्य आगत को १७३ महासंघ के पुनीतप्राण, युग युग जीवों सभी गाये कर्तव्य महक पद अमर बनेगा, किन शब्दों में बधाये १७४ संघपतियों की नामावलि उदारवृत्त का परिचय दे, महासंघ में स्थान जो पाये निम्नोक्त नाम संघपतियों के, उनका भी शान बढ़ाये १७५ कमलसिंहजी दुधेड़िया, निवास स्थान कलकत्ता है रत्नत्रयी के आराधक, जिनवाणी पर ही श्रद्धा है १७६ छाजेड़ गोत्रीय संघपतिजी बाडमेर के निवासी है जीवणमलजी' अरु लुणकरणजी, गुरुदर्शन अभिलाषी है १७७ बाडमेर स्थित राठीजी, धर्मानुरागी द्वारकादास ४ पूज्यवर के प्रेरक प्रवचन से कर पाये जीवन विकास १७८ खरतरगच्छीय महासंघ अध्यक्ष जवाहरजी" राक्यान दिल्ली मणिधारी छाया में, जैन एकता पर है ध्यान १७९ बाडमेर के पुरुषोत्तमजी, माहेश्वरी गुरुभक्त बने अजैन है जिन अनुरागी, ऋषभ द्वार माल पहने १८१ पाली के श्रेष्ठी लोढ़ाजी, सोहनराजजी " श्रद्धावान मानव जीवन की सार्थकता, हेतु द्रव्य किया बलिदान १८० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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