Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 26
________________ १६ नवजीवन संचार हुआ, गुरुदेव पदार्पण से संघ में सूर्य विकासी संघ कमल. विकसित प्रमुदित हर्षित मनमें १ शंखेश्वरसकुशल संघ पैदल चलते, फाल्गुन तेरस को शंखेश्वर फाल्गुन चौमासी पर्वपुनीत, दर्शन संप्राप्त पार्श्व प्रभुवर १५ शंखेश्वर तीर्थ की पवित्र धरा संघ रुका दिन चार जहां दर्शन पूजन हुए भक्तिमग्न, ऐसा स्वर्णिम अवसर कहां १५ आगे पहुंचे जब मांडल में, भव्य समारोह था स्वागतका गुजरात प्रान्तकी गौशाला में, दूसरा स्थान रहा जिसका १५ धंधुका नगरी प्रवेश हुआ, हर्षोल्लास सामैय्या साथ बावीस साध्वीजी यहां मिले, गुरुदेव जन्मभूमि विख्यात १५ प्रमुखाचार्य यशोभद्रसूरि है, नेमिसूरि समुदाय में इस संघ में सामील हुए थे, वे बरवाला गांव में १५ वल्लभीपुरी वांधना से, ऐतिहासिक नगरी धन्य है। पुस्तकारुढ़ सिद्धान्त किए गए महिमा जिसकी अनन्य है १५ देवर्द्धिक्षमाश्रमणजी से पंचशत शिष्य वांचना लेते साकार दृश्य अति सुन्दर है, हम मुग्ध बने देखते १५ वल्लभीपुर सिहोर गांगली आदि विभिन्न स्थानो में पुनीत संघ प्रयाण हुआ सन्मान सभी ग्रामों में १५ संघस्थ मुनिवन्द प्रकाशस्तंभवत् मार्ग प्रदर्शक, पूज्यवर कान्तिसागरजी महासंघ में जो सम्मिलित रहे. प्रस्तुत नाम पूज्य मुनिवरजी १५ अतिवृद्ध मुनि साम्यानंदजी और कल्याणसागरजी महाराज मार संभाल करे संघकी प्रतिदिन कैलाशसागर मुनिराज १६॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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