Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 29
________________ मुक्तिमाल पहननेका महत्व मेहताजीने जाना इन्दौरवासी कुन्दनमलजी सम्यग्भावों की सराहना १८२ देवगुरु की भक्ति ही नाहटाजी के मन भाया है मिश्रीलालजी शाहदा से संघ लेकर के आया है १८३ चंचल लक्ष्मी स्थिर बन जाती जिस घट में धर्मका वास धर्मप्रेमी जेठमलजी० गोलच्छा रहते है मद्रास १८४ बाडमेर निवासी तीनों का है भंवरलालजी नाम गोत्र बोथरा सेठिया, डोसी, चल आए सिद्धाचल धाम १८५ समृद्धि से पुण्यवृद्धि कर जीवन सफल बनाया है नारायणजी'४ सिन्धी बाडमेर, तीर्थ महिमा गाया है १८६ उपर्युक्त भव्यात्माओं ने संघपति पद प्राप्त किया आचार्यश्री की निश्रा में संघसह सिद्धाचल यात्रा किया १८७ ___ संघ के पुनीत चरण गुजरात में दत्तकुशल गुरुदेव कृपा से आनंद मंगल वर्तित है नई चेतना पुनीत प्रेरणा, गुजराती संघमें वर्धित है १८८ महासंघ की महिमा और कान्ति गुरुदेव के समन्वय से गुजरात की जनता नत मस्तक हो भक्ति किया सहृदय से १८९ सानन्द लक्ष्य की ओर चरण, बढ़ रहा संघका श्रेयस्कर । धर्म जागृति करता हुआ, प्रकाशपुंज खरतर भास्कर १९० अद्वितीय संघ निजि विशेषता से श्रद्धा का केन्द्र बना लाखों लाखों जन स्तुत्य अवनि अम्बर परिवात बना १९१ चौपन दिवसीय यात्रा क्रम में, नितनए रंग उत्साह उमंग प्रसन्नवदन यात्रीजनका, सहृदय प्रेम सत्कार दंग १९२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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