Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 31
________________ महासंघ स्वागत में अनेको स्वागत द्वार सजाये गये ध्वजा पताका तोरण आदि दर्शनीय बंधवाये गये २०४ वैभव समृद्ध अनोखीशान, स्वागत की शब्दातीत रही भारी संख्या में उपस्थिति सभी कौमों की सस्मित रही २०५ हर्ष हार माला का सर्जन, आनन्द की अवधि है कहां प्रसन्नता का क्या! पारावार, अद्वितीय संघ प्रवेश जहां २०६ सोनेरी उषा सर्व प्रथम संघ दर्शन करके धन्य बनी गुरुकुल से प्रस्थित प्रातः में अतिभव्य जुलूस दर्शनीय मणि २०७ पबनवेग से लहराता अति उच्च इन्द्रध्वज सर्व प्रथम बाडमेर के ऊंट हाथी रथ घोडे शोभित है अनुक्रम २०८ भावनगर और बीजापुर की बैण्डपार्टी भी थी अनुपम गगनभेदी मधुर स्वर लहरी सुनने को लालायित मन २०९ विभिन्नप्रान्त की भजन मंडली नृत्य गीत में लीन बने आगन्तुक दर्शनार्थी जन संघ यात्रीगण क्रमबद्ध बने २१० संघयात्रा के नायक दृढ़संकल्पी कान्तिसागर गुरुवर शिष्यवृन्द सहशोभ रहे ज्यु तारों में निशाकर २११ निश्राप्राप्त सस्मितवदन साध्वीजी का विशाल समूह एकसौ आठ कलश को लिये महिलाए मंगल वांच्छि ग्रह २१२ भव्य रजत रथ शोभित प्रभुजी, अमाप मेदिनी मानव की जय जय हो महासंघ संघपति निश्रादाता गुरुदेव की २१३ सभी गच्छ समुदाय शिरोमणि गणिवर्य मुनि आर्याजी प्रवेश जुलूस में सम्मिलित हो एकत्व भाव दर्शायाजी २१४ मुथ्य मार्ग पर नाच रहा उत्साह स्वतंत्र आज बनकर स्वागत कर रहे सहर्ष सभी, जाति संस्था जैन जैनेतर २१५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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