Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 32
________________ बारी गली चौक कहीं भी दिखता खाली स्थान नही भारी भीड़ दर्शक की नजरें ढूंढे प्रश्न विराम कहीं २१६ चौपन दिवसीय पदयात्रा के यात्रिक संघपति कैसे ! निश्रादाता गुरुदेव श्री के दर्शनकर दर्शक हर्षे २१७ मनमोहक भव्य विराट जुलूस, जब प्रमुख मार्ग मध्य आया पुष्पवृष्टि की अपूर्व शोभा, स्वागत शान को बढ़ाया २१८ प्रमुख अतिथि मणिलालजी महासंघपति का सत्कार भावभरा अभिनन्दन करके पहनाया सुन्दर पुष्पहार २१९ महाकौशल मूर्तिपूजक संघ ने भी पुष्प वर्षाये महावीर सिक्का श्रीफल और हार मेटकर हर्षाये २२० भक्त हृदय की मंगल भावना गुरु चरणों में बहने लगी कलात्मक गहुंली ढेर जहां मनको आकर्षित करने लगी २२१ विधिपूर्वक वंदनकर भक्ति से श्रद्धा सुमन चढाया परमोपकारी पूज्य गुरुदेव को, अक्षत से बधाया २२२ जयध्वनि से नभ गूंज उठा, आदर्श अनोखा दृष्यमान नजरे जो टिकी फिर हट नसकी लाखों जिह्वा से स्तुत्यवान २२३ पादलिप्तपुरी का वैभवमय स्वागत और हार्दिक सन्मान कान्तिपूर्ण महासंघ समर्पित, भक्ति भाव अपूर्व महान २२४ हाथी के हौदे पर बैठे ताराचंदभाई रेवाबहिन नकदी रुपयो का निछरावल जुलूस किया उदारमन २२५ तीर्थाधिराज सिद्धाचलस्वामी, आदीश्वर प्रभु की जयकार निश्रादाता महासंघ प्राण गुरुवर असीम तेरा उपकार २२६ कर्णप्रिय नारो की झड़ी कोई गाने लगे गुणगान कड़ी स्पन्दित प्राण हुए सभी के रोम राजी साड़ातीन कोड़ी २२७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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