________________
खरतर गच्छ श्रृंगार हार है युग प्रधान दादा गुरुदेव श्री जिन दत कुशलसूरि चरण पादुका दर्श किया तदेव २९६ हृदयस्थित प्रत्यक्ष प्रभावी, विलपावर ये तुम्हारा हैं निर्विन यात्रा महासंघकी कुशल कृपा अनुसारा है २९७ खरतरवसहि गुरुवन्दन कर चैत्यवंदन किया नवट्क में आशा किरण की लाइट लेकर पहुंचे सभी मूलढूंक में २९८ दादा ऋषभ दरबार में मधुर उत्कंठा का पारणा चातक वारिद मिलन है साक्षात अपलक नयन बारणा २९९ माराधना कष्ट परिश्रम से अतितप्त ये मानस भूमि में प्रभु दर्शन वाणी को कई क्षण सूखा लिया गहरे जमी ने ३०० हर्षाश्रु की धारा बहचली, वाणी कुंठित हुई तदा पवन वेगतः ध्वनि प्रसारित जय आदिनाथ सर्वदा ३०१ अंतर्नाद सुवासित माला समर्पित चरणे आदीश्वर भावों के आवेग से स्वतः मुखरित हुआ भकामर ३०२ द्रव्य भाव विधि पूजन करके माला परिधान के लिये सभी बाह्य प्रांगण सुशोभित मंडल योग्य स्थान पा लिये तभी ३०३ स्मित रेखा बिखरी चेहरों पर निश्च्छल नयन निहार रहे कृतार्थता का परम गान सह मुक्ति माल बलिहार है ३०४ धार्मिक उपकरण लिये संधपति हुए मालारोहण अभिमुख क्रिया का प्रारंभ किया पूज्येश्वर प्रतिमा सन्मुख ३०५ भाग्यशाली कलकत्तावासी कमलसिंहजी दुधेडिया प्रथम माल पहनने का सौभाग्य जिन्होने प्राप्त किया ३०६ विधि सहित इन्द्रमाल सभी संघपतियों ने पहना सप्रेम पुनीत तिथि की यादी में यथाशक्य लिया व्रत नेम ३०७
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com