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अब तक प्रतीक्षारत हम सब बैठे थे पलक विछाये संध्या तक जरुर पधारेंगे, गुरुवर यह आश लगाये १३८ राठीजी द्वारा प्राप्त पत्र पढ़ धर्य बांध टूटा है निराश खिन्नमन हुए सभी, हमसे ही दैव रुठा है १३९ हृदयस्थ गुरुदेव ! गौर करे, ग्रहण तो आते रहेंगे जप जाप तो खूब किया है और भविष्य में भी करेंगे १४० फिलहाल आपका प्रमुख कार्य है एक संघ का संचालन क्या!शोभेगासंघ आपबिना, नही होता शून्य का मूल्यांकन १४१ बेमिशाल व्यक्तित्व तेरा, लाखों व्यक्तित्व समाया है क्या अधिक निवेदन करे आपसे, क्यों हमको विसराया है १४२ प्रफुल्लित मुख विकृत है बना. सब दिखते यहां उदास चन्द घन्टों की यह हालत करेंगे आप विश्वास १५३ सर्वोपरि आपकी आशा, निर्णय मान्य ही होता है किन्तु अभी अरदास हमारी मान्य करे दिल रोता है १४४ अगर पधारे नही शाम तक तो यह प्रण भी है निर्णित नही करेंगे गोचरी कोई, शशी विकास हेमा निश्चित १४५ आप पधारे छोटे बापजी भी तो छोड़ के चले गए अकेले कैलाश मुनिजी क्या करे उदास भए १४६ भक्तितार से जुड़ा कनेक्शन, सुन लेना अन्तर आवाज आत्मा हो सन्तुष्ट सभीकी, पधारो संघ सरताज १४७ हेमाक्षर दिव्य विकाश शशि भावों को ना ठुकराना आधारस्तंभ हो इस संघ के, शीघ्रातिशीघ्र चले आना १४८
पदार्पणसंप्राप्त पत्र पढ़कर के पुन: निज विचारो ने मोड़ लिया प्रातः विहार किया पूज्यवर. भोरोल में संघको दर्श दिया १४९
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