Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 22
________________ भव्य जुलुस माघी पूनम मध्याह्न समय कर्णप्रिय मधुरध्वनि गुंजित है वाजिंत्र गीत संगीत लहर कर रहा मुग्ध स्पंदित है १०७ विराट् जुलूस सह पदयात्री, अपूर्व संघ प्रयाण किया गुरु पूनम दिन सिद्धियोग, सिद्धाचल लक्ष्य में ठान लिया १०८ ध्वजा व्योम में फहर रही, मस्ती में हाथी झूम रहा गति शील अश्व अरु ऊँट स्थित रक्षक नगारा पीट रहा १०९ चालीस हजार जनमेदनी मानो जन प्रवाह बाढ़ आया मुनिवृन्द मध्य उच्चासन स्थित, शासन सम्राट दर्श पाया ११० प्रभु महावीर की प्रतिभा एक सुन्दर रथ में शोभ रही रथ गतिशील करने हेतु बैलो की जोडी दौड़ रही १११ जय तीर्थपति जय गुरुदेव, था कर्णमेदी शब्द जयकार प्रसन्नवदन मम हृदयहार, संजोया स्वप्न किया साकार ११२ खेतजी प्याऊ के समीप था सुन्दर रंग मंडप विशाल संघ पहुंचा पांच बजे वहां पर, भोजन करने बैठे पंडाल ११३ विभिन्न खाद्य पदार्थों से सामीवच्छल का लाभ लिया संघपति भंवरजी विनम्रभावे, सुखपृच्छा संभाल किया ११४ अनुकूल व्यवस्थायात्री संख्या सहस्र रही, शत उपर सेवक सेवारत बस ट्रक ठेला जलरंकी जीप, अनुकूल व्यवस्था सभी प्राप्त ११५ संघ सेवा समिति के सदस्य, सबही मंडल के अधिकारी प्रदत्तकार्य तम्मयता से संभाल रहे जिम्मेदारी ११६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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