Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 19
________________ ऐतिहासिक चातुर्मास हुआ, वर्णन कर पाना शक्य नही आमंत्रणपत्र की सुन्दरता, संघभक्ति शब्दातीत रही ७७ तेरी गरिमा से प्रभावित हो. जैनेतर जैन सभी हर्षित मुनिवृन्द अल्पवयी अति सुन्दर, चुम्बकत्व कर रहा आकर्षित ७८ शिष्य मंडल शिष्यरत्न में प्रथम स्थान, सर्वोपरि श्री मणिप्रभसागर गुरुकृपादृष्टि पा धन्य हुए अभिन्न प्रेम ज्यू पयसाकर ७९ कर्तव्यध्यान बडे बुद्धिमान, किंचित भी नही है अभिमान कान्ति आन ही मणि प्राण, सतत परिश्रमी ज्ञानवान ८० मुक्ति सुयश विमल है साथ, साध्वीजी का चातुर्मास साध्वी प्रमुखा प्रमोदीजी शिष्या मंडली सह किया आवास ८१ बाडमेर से विहार चौमासिक काल बीता सानन्द विदाई की घडिया आई विरह वेदना व्यथित संघकी हृदय कलियां मुरझाई ८२ द्वितीय उपधान - उपधानपति रामसरवासी, प्रभुलालजी मालू आग्रहपर निर्णीत उपधान नाकोड़ाजी, पधारे अनुयोगाचार्य प्रवर ८३ उपधान प्रवेश प्रथम मुहुर्त, मिगसर वदी पांचम शुक्रवार छः सौ सोलह तपस्वीजन हुए क्रियाशील विधि अनुसार ८४ प्रातः सन्ध्या में प्रतिक्रमण, प्रभुदर्शन गुरुवंदन करना काउस्सग्गमाला नियमानुसार, बह रहा बीरवाणी झरना ८५ मालू परिवार भाग्यशाली, तप भक्ति में तल्लीन वना तन मन धन अर्पित सेवा में, उपधानपतिजी उदारमना ८६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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