Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 14
________________ प्रतिदिन जिनवाणी सार श्रवण, अप्रमत्त रहन सत्संगमिलन । मात्मशांति की अनुभूति अरु रत्नत्रयी का आराधन २९ साधनाकाल समापन भव्य मालोत्सव कार्यक्रम आयोजित दर्शक जन समूह अपार मध्य विधिवत् संपन्न क्रिया निर्णीत ३० गुरुदेव ! आपकी निश्रा में बीते क्षण भूल न पायेंगे तव महर नजर प्रेरक प्रवचन, जीवन्त स्मृतिपट छायेंगे ३१ उदार हृदयी संघपतिजी कृत सेवा तन मन धन अनुपम अब विछुड़ रहे आज सभी स्वीकारो हार्दिक अनुमोदन ३२ दर्शक यात्री तपस्वीजन, संघपति स्वगृह की ओर चले नामानुरुप गुण कान्ति ही कर्त्तव्यक्षेत्र में सदा ढले ३३ नाकोड़ाजी से विहार : आहोर प्रतिष्ठा शासनप्रभावना करते हुए, आहोर संघ के आग्रह पर त्रयोदशी शुक्ल बैसाखी, प्रतिष्ठित किये कुशल गुरुवर ३४ . ताराबहन दीक्षाअति प्रशंसनीय रहा संघका हर्षोल्लास सह हुआ काज ताराबहनको दीक्षित कर शासनप्रभा नामकरण सरताज ३५ स्वर्गस्थ दर्शनपुनः विनंती हुई पधारो बालोतरा संघ की आवाज विहार किया मोकलसर पहुँचे, स्वर्गस्थ गुरु दर्शन मुनिराज ३६ विभिन्न प्रान्त के लोगों ने अंतिम यात्रा में भाग लिया बाडमेर संघ बोली लेकर मुनिश्री का दाह संस्कार किया ३७ सुप्रसिद्ध न्याय व्याकरण तीर्थ साहित्यशास्त्री दर्शन थे। पर अहंभावका अंश नहीं, गुरुदेव भक्ति में समर्पित थे ३८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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