Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 13
________________ हृदयस्पर्शी संक्षिप्तसार सुन बोल उठे मम हृदयहार आदेश सभी स्वीकृत होगा तेरी वाणी मेरे विचार १८ जय घोष से नभमंडल गूंजा, थी उभय विचारों की सिद्धि परस्पर मंजुरी लेकर वे खुश मिल गई हो समृद्धि १९ पालीताणा से बिहार दो हजार छत्तीस विक्रम संवत् कृष्णाष्टमी मिगसर पालीताणा से प्रस्थान किया प्रातः शुभ वेला में गुरुवर २० नूतन लघुवयी मुनिवृन्द संग, विचरण अरु धर्मप्रचार किया अहमदाबाद की जनता ने गुरु उपदेशामृत लाभ लिया २१ त्रिदिवसीय वाणी की वर्षा, लाखों लोगो का दिल हर्षा क्रमशः साचोर में उद्बोधन कर अन्यक्षेत्रों को भी स्पर्शा २२ प्रथम उपधान 1 प्रतीक्षामग्न भंबरजी थे खुशियों का पारावार नही नाकोडा निकट पधार रहे, श्रद्धेय ! शासन श्रृंगार सही २३ शुभ लग्न पोषकृष्णा षष्ठी, नाकोड़ा तीर्थ प्रवेश किया सभी प्रान्तों के तपप्रेमी को आमंत्रण पत्रिका भेज दिया २४ उपधानपति बोहराजी है, अनुयोगाचार्य कान्तिसागर जिनकी पावन निश्रा में स्थित हुए तपस्वीजन आकर २५ प्रारंभ हुई उपधान विधि, दिन माघ वदि द्वितिया का था चौरासी ऊपर चार शतक. तप जप उपधान वहन कर्ता २६ साधना अहोनिश शतार्ध एक. संयमी जीवन परिपालन तज भौतिक सुख अंतर्मुखी हो करे अशुभ भावों का परिमार्जन २७ वैज्ञानिक शोधित अणुशक्ति ने जीवन का संहार किया जिन प्ररुपित तप की शक्ति, आत्मशुद्धि स्वविकास किया २८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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