Book Title: Pyara Khartar Chamak Gaya
Author(s): Manoharshreeji
Publisher: Jin Harisagarsuri Gyanbhandar

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Page 12
________________ सागर की गहराई अनन्त, कर्तव्य उमंग वेग अवरुद्ध प्राची लाली छिटकाव किया, चिंतनधारा में बहे प्रबुद्ध ७ शब्दातीत उपकार सदा ही, तीर्थंकर भगवन्तों का पुण्यशाली शासन सेवाकर जन्म कृतार्थ करे निज का ८ मस्तिष्क पटल की छायामें हुई ऐतिहासिक घटना चित्रित संघ सह पैदल यात्रा करने बस हृदयावाज किया प्रेरित ९ मन ही नही आत्मा है खोई, यात्रा के पुनीत विचारों में घंटो बीते इन ख्वाबों में, सुनहले स्वप्न सितारों में १० वंदन गुरुदेव ! शब्द सुनकर उद्घाटित किया नयन द्वारी नतमस्तक खडे भंवर बोहरा, धर्मलाभ शब्द गुरु उच्चारी ११ प्रथम कुशलपृच्छा सह पूज्यवर, धर्मप्रेमी जन लिया संभाल प्रेषित उत्तर बोहराजी का था, इक अर्जी सुनिये फिलहाल १२ आशा दीप प्रज्वलित यह, तव कृपादृष्टि स्नेह पाकर मनमयुर भी नाच उठेगा, इच्छित अमृत वर्षा पर १३ करबद्ध मस्तक पूज्य पदतलधर, बोले सुन लेना स्वामी पवित्र करो भूमि मरुधर की, चातुर्मास हो आगामी १४ पूर्वकार्य उपधान तपस्या में, नेतृत्व अपेक्षित है तीर्थ नाकोड़ा पधारेंगे, स्वीकृति परध्यान ये केंद्रित है १५ बडे ध्यान से श्रवण किये पर पूर्व विचार न विसराये बोहराजी सन्मुख गुरुवर अब निजी भावना दर्शाये १६ पैदल यात्री संघ साथ में लिये प्रभु आदीश्वरको नमनकरे तन मन धन अर्पित भक्ति में, भन्यात्मन् सिद्धि सहज वरे १७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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