________________
अस्वस्थ रहे कई वर्षों तक अन्त करकालने ग्रसित किया नश्वर जगति में अमरत्व का दिया बोध शोक को दूर किया ३९
बालोतरा प्रतिष्ठामोकलसर से विहार हुआ बालोतरा पधारे मृदुभाषी गुरुभक्त मनोरथ पूर्ण हुआ, प्रतिष्ठा में खर्चे बहुराशी ४०
प्रवर्तिनीजी से मिलन प्रतिष्ठा कार्य हुआ सत्वर, प्रस्थान किया जयपुर की ओर मणि मुक्ति सुयश विमल संगमें, विद्वद् मुनिजन तप है कठोर ४१ प्रवर्तिनीजी विचक्षणश्रीजी की वेदना से चिंतित थे सभी सुखपृच्छा दे दर्शन पूज्यवर,द्विदिवसीय स्थिरता किया तभी ४२ बाडमेर का ऐतिहासिक चातुर्मास
बाडमेर प्रवेशोत्सवपूर्व निर्णय को ध्यान में रख, अति तीव्र गति से विहार किया बाडमेर प्रवेशपूर्व सेवासदन में पूज्यश्रीने विश्राम लिया ४३ उदधितरंगवत् भक्ति लहर, उत्साह अपूर्व संघ छाया अनुयोगाचार्य के स्वागत में बाडमेर स्वर्गसा सजाया ४४ सन्मानद्वार बहुरंगी ध्वजा, दर्शनीय लगा कान्ति मेला श्रीफल प्रभावना वितरण का द्विदिवसीय लाभ भंवर झेला ४५ आषाढ शुक्ल तेरस प्रभात, बधाने आये सभी नरनारी सेवासदन से प्रारंभ जुलूस संकीर्ण मार्ग हुआ उस वारी ४६ अशोक बेंड जयपुर का था महावीर पाच बेंड मधुरध्वनि जनता सारी मंत्रमुग्ध बनी, सुनते खिल रही हृदयकली ४७ लाखों नजरों की प्यास बुझी दर्शन कर विरल विभूति के न्यातिनोहरा में प्रवेश किया, अब चातुर्मास वर्णन आगे ४८
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com