Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Hemchandracharya, K V Apte
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 7
________________ चतुर्थपाद धातुके आदेश १.२०, प्रेरक धातुके आदेश २१-५१, धातुके आदेश ५२-२०९, विशिष्ट प्रत्ययोंके पूर्व धातुको होनेवाले आदेश २१०-२१४, धातु के अन्य व्यञ्जनमें होनेवाले विकार २१५-२३२, धातुके अन्त्य स्वरके विकार २३३-२३७, धातुमें स्वरके स्थानपर अन्य स्वर २३८, ध्यञ्जनान्त धातुके अन्त में अकार २३९, अकारान्तेतर स्वरान्त धातुके अन्तमें वैकल्पिक अकारागम २४०, चि इत्यादि धातुओंके अन्तमें णकारागभ २४१, चि इत्यादि धातुओंके वैकल्पिक कर्मणि अंग २४२-२४३, हन खन् इत्यादि धातुओके वैकल्पिक कर्मणि अंग २४४-२५०, कुछ धातुओंके आदेशरूप कर्मणि अंग २५१-२५७, क. भू. धा० वि० के स्वरूपमें आनेवाले निपात २५८, धातुओंके अर्थ में बदल २५९, शौरसेनी भाषा २६०-२८६, मागधी भाषा २८७-३०२, पैशाचीभाषा ३.३-३२४, चूलिका पंशाची भाषा ३२५-३२८, अपभ्रंश भाषा ३२९-४४६, प्राकृतभाषा लक्षणों का व्यत्यय ४४७, उपसंहार ४४८ । www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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