Book Title: Prakrit Suktaratnamala
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 28
________________ संगतिः । अंबस्स य निंबस्स य दुन्हंपि हु संगयाई मूलाई । संसग्गीय विट्टो अंबो निबत्तण' पत्तो ॥ ३१ ॥ आम्रस्य च निम्बस्य च द्वयोरपि खलु संगते मूले । संसर्गेण विनष्ट आम्रो निम्बत्वं प्राप्तः ॥ ३१ ॥ The roots of a mango tree a and neem tree (Lat. melia axadiracta) having come together the mango tree was destroyed, befng transformed into a neem tree by the influence of contact. सुचिरंपि अच्छमाणो वेरुलिओ काच मणीअ उम्मीसो । न उवेइ काच भावं पाहण्ण-गुणेण नियएण ॥ ३२ ॥ सुचिरमप्यासीनं वैडूर्यं काचमरयोन्मिश्रम् । नोपैति काचभावं प्राधान्यगुणेन निजेन ॥ ३२ ॥ A baidurj a gem (lapis lazuli ) mingled with glass and kept in contact for a long time, never attains the qualities of glass on account of the superiority of its own qualities. १५ सुचिरंपि अच्छमाणो नल-थंभो पिच्छ इच्छु-वाडम्मि । कीस न जायइ महुरो जइ संसग्गी पमाणं ते ? ॥ ३३ ॥ सुचिरमप्यासीनो नलस्तम्भः पश्येक्षुवाटे । कस्मान्न जायते मधुरो यदि संसर्गः प्रमाणं ते १ ॥ ३३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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