Book Title: Prakrit Suktaratnamala
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 101
________________ ८८ प्राकृत-सूक्तरत्नमाला। वल्ली नरिंद-चित्तं वक्खाणं पाणियं च महिलाओ। तत्थ य वच्चंति सया जत्थ य धुत्तेहिं निजति ॥ १८६ ॥ वल्ली नरेन्द्रचित्तं व्याख्यानं पानीयं च महिलाः । तत्रैव ब्रजन्ति सदा यत्रैव धूतैर्नीयन्ते ॥ १८६ ॥ A creeper, a king's mind, a religious discourse a fluid and a woman-these can always be led by rogues at their will. जइ केवि पुव्व-पुरिसा अंधलया अंध-कूवए पडिया। ता किं सचक्खूणं झडत्ति तत्थेव पडिअव्वं ? ॥ १८७ ॥ यदि केऽपि पूर्वपुरुषा अन्धा अन्धकूपे पतिताः। ततः किं सचक्षुषां झटिति तत्रैव पतितव्यम् ? ॥ १८७ ॥ If some blind ancestors fell into a dark well, does it follow that a person with his ( mental ) eyes open should instantly fall into the same (well)? जइ गिलइ गलइ उदरं जइ न गिलइ गलति नयणाई। अइविसमा कज-गई अहिणा छुच्छुदरी गहिया ॥ १८८ ॥ यदि गिलति गलत्युदरं यदि न गिलति गलतो नयने । अतिविषमा कार्यगतिरहिना छुच्छुन्दरी गृहीता ॥ १८८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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